कौन आया मेरी
बगिया मे......
अमित तिवारी “शुन्य”
कौन आया मेरी बगिया मे
मन यु ही झूम उठा,
कोयल तो नहीं थी
जिसकी मीठी थी हर बोली
कभी चुप सी कभी किलक सी
बाते जैसे कोई हो मोहिनी
नटखट लेकिन फिर भी भोली
प्यारी बोली तोतली बोली
कौन आया मेरी बगिया मे
मन यु ही झूम उठा,
नन्ही हो लेकिन ,नहीं होती
छोटी उसकी बात
कोई न अचरज मेरी बिटिया
दिन को कह दे रात
धम धम करती
सबसे करती प्यार
कैसे कह दू ओझल हो जो
पल भर भी
मन मेरा हो ना उदास
तू आई बिटिया मेरी बगिया मे
ये मन यु ही झूम उठा
मन यु ही झूम उठा.........................................................................
मन यु ही झूम उठा
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