चित्र आधारित स्वरचित रचना
“ अतुकांत रचना”
द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य”
शीर्षक : ‘मन के तार’
ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023
जा मिले जो उनसे
मेरे मन का कोई तार
हर बार हो जाये उनसे
कोई मन ही मन की तकरार
अक्सर सोच बदल भी जाए
लेकिन मन के तारों का ताना
तोड़े से भी ना तोडा जाये
फिर भी खुद के बंधन उन्हें
फिर उलझाए फिर उलझाए
तिनका तनिक तब भी
इन तारों को छु भी न पाए
अक्सर आहें भरते भावों से
दुःख -सुख यूँ ही अंतर्मन से जुड़
जाएं
लेकिन नवल-चेतना के तार जुड़े और
जुड़ते जाएँ ; जिनसे अब तक न था कोई
जुड़ाव
जिनसे अब तक न था कोई जुड़ाव||
स्वरचित अप्रकाशित रचना
द्वारा डॉ अमित तिवारी , 30.06.2023
ग्वालियर; भारत