चित्र आधारित स्वरचित कवित्त
अतुकांत
शीर्षक : श्री हनुमत आशीषा
द्वारा डॉ अमित तिवारी "शून्य"
ग्वालियर , भारत
16.06. 2023
तव आशीष प्रमाण रहा
मेरे जीवन की जीतों का,
मेरा तुझ में विश्वास रहा
जन-जन ने मेरा ध्येय कहा,
हनुमत आशीषा ध्येय सुदीक्षा |
पथ की हर बाधा छुटी
हाँ जीवन बना सच की कसौटी
लेकिन किंचित मान नही
ये मुझको आभास नहीं की
हनुमत का आशीष मिला
तब ही मन से, मैं जीता |
जीवन के इस द्वन्द में
प्रखर हुआ निर्द्वन्द हुआ
क्या अब खुद मैं निस्तारित करता
खुद को क्यूँ विस्तारित करता
सृजन, मन के बल को बढाकर
जीवन में भजन को बढाकर
मैं जीवन में चिंतन गढ़ता |
जो हो पाया , वो हनुमत आशीषा
वो मैंने किंचित न सोचा
उन लक्ष्यों को किया सृजित
मिटी व्यंजना हुआ पथिक
सफल रही जीवन की धारा
श्री राम रहे मेरे आधारा
अब क्यूँ न हनुमत को गाता
जो निस दिन, मुझको पथ दिखलाता
जीवन आनंद के जल से
अपने निश्चल संबल से
आओ और बढ़ाएं खुद को
जीवन में समदृष्टि लायें
समरस होकर जीवन को
अपने सफ़ल बना जाएँ
लेकर बस हनुमत आशीषा
लेकर बस हनुमत आशीषा ||
स्वरचित अतुकांत कवित्त द्वारा डॉ अमित तिवारी “ शून्य”
ग्वालियर , भारत
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