शुक्रवार, 30 जून 2023

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

 


चित्र आधारित स्वरचित रचना

    “ अतुकांत रचना”

द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य”

शीर्षक : ‘मन के तार’

ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023

 

     जा मिले जो उनसे

       मेरे मन का कोई तार

         हर बार हो जाये उनसे

            कोई मन ही मन की तकरार

 

      अक्सर सोच बदल भी जाए

         लेकिन मन के तारों का ताना

             तोड़े से भी ना तोडा जाये

              फिर भी खुद के बंधन उन्हें

                 फिर उलझाए फिर उलझाए

 

    

         तिनका तनिक तब भी

             इन तारों को छु भी न पाए

               अक्सर आहें भरते भावों से

                   दुःख -सुख यूँ ही अंतर्मन से जुड़ जाएं

 

       लेकिन नवल-चेतना के तार जुड़े और

         जुड़ते जाएँ ; जिनसे अब तक न था कोई जुड़ाव

                    जिनसे अब तक न था कोई जुड़ाव||

 

स्वरचित अप्रकाशित रचना

द्वारा डॉ अमित तिवारी , 30.06.2023

ग्वालियर; भारत

                


शुक्रवार, 16 जून 2023

चित्र आधारित स्वरचित कवित्त अतुकांत शीर्षक : श्री हनुमत आशीषा द्वारा डॉ अमित तिवारी "शून्य"

 



 

 

 

चित्र  आधारित स्वरचित कवित्त

अतुकांत

शीर्षक : श्री हनुमत आशीषा

द्वारा  डॉ अमित तिवारी "शून्य"

ग्वालियर , भारत

16.06. 2023

 

तव आशीष प्रमाण रहा

मेरे जीवन की जीतों का,

मेरा तुझ में विश्वास रहा

जन-जन ने मेरा ध्येय कहा,

हनुमत आशीषा ध्येय सुदीक्षा |

 

पथ की हर बाधा छुटी

हाँ जीवन बना सच की कसौटी

लेकिन किंचित मान नही

ये मुझको आभास नहीं की

हनुमत का आशीष मिला

तब ही मन से, मैं जीता |

 

 

जीवन के इस द्वन्द में

प्रखर हुआ निर्द्वन्द हुआ

क्या अब खुद मैं निस्तारित करता

खुद को क्यूँ विस्तारित करता

सृजन, मन के बल को बढाकर

जीवन में भजन को बढाकर

मैं जीवन में चिंतन गढ़ता |

 

जो हो पाया , वो हनुमत आशीषा

वो मैंने किंचित न सोचा

उन लक्ष्यों को किया सृजित

मिटी व्यंजना हुआ पथिक

सफल रही जीवन की धारा

श्री राम रहे मेरे आधारा

अब क्यूँ न हनुमत को गाता

जो निस दिन, मुझको पथ दिखलाता

 

 

जीवन आनंद के जल से

अपने निश्चल संबल से

आओ और बढ़ाएं खुद को

जीवन में समदृष्टि लायें

समरस होकर जीवन को

अपने सफ़ल बना जाएँ

 

लेकर बस हनुमत आशीषा

लेकर बस हनुमत आशीषा  ||

 

स्वरचित अतुकांत कवित्त द्वारा  डॉ अमित तिवारी “ शून्य”

ग्वालियर , भारत

 

 

 

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

स्‍वरचित अतुकांत कवित्‍त द्वारा डॉ अमित तिवारी ‘शून्‍य’ ग्‍वालियर (म.प्र.) शीर्षक अगर खुद से नही हारे

 

स्‍वरचित अतुकांत कवित्‍त

द्वारा डॉ अमित तिवारी ‘शून्‍य’

ग्‍वालियर (म.प्र.)

  शीर्षक अगर खुद से नही हारे

कि आंसमा में करेगें सुराग

अगर खुद से नही हारे।

 कि होंगें  पूरे तुम्‍हारे सारे ख्‍बाव

अगर खुद से नही हारे।

 

जमाने में, जमाने को

जमा कर देगें; ऐसा हिसाब

न जमीं हारेगें ; न हारेंगे गगन

अगर खुद से नही हारे।

 

तय करके खुद को बना लेगें

नया असबाब हर हालात

अगर खुद से नही हारे।

 

तुम्‍हारे ख्‍बाब भी पूरा करेगे

अगर समझोगे तुम अपना

और, हॉ अगर खुद से नही हारे

अगर खुद से नही हारे।

 

करेंगे वार शत्रु पर

बचाएगें अपने मित्रों को

मगर समझे ना कोई जज्‍बात

वो भी अगर , खुद से नही हारे।

 

 

डॉ अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

27.04.2023

बुधवार, 12 अप्रैल 2023

चांदनी रात में अतुकान्त कविता द्वारा डॉ अमित तिवारी शून्य, ग्वालियर भारत

 चांदनी रात में 

स्वरचित अतुकांत कविता 

द्वारा डॉ अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर,भारत



स्वप्न की चाह में

बात ही बात में

कुछ नहीं रात में

 चांदनी रात में


युद्ध के क्षेत्र में 

लड़ रहे थे जवां वे थे वहां 

चांदनी रात में 

ना था कोई जहां


सिर्फ शस्त्र थे चले 

कुछ थे दुश्मन बड़े

आ गए थे जो यम

का बन पाश

सम्मुख चांदनी रात में


वीरता से लड़े

शत्रु भागे खड़े

गिर पड़े वो योद्धा बड़े

वीर थे लाल थे


हां कोई श्रंगारिक तथ्य

भी तो ना था

समर का ज्वार भीषण

बहुत रहा आके

हृदयों पर जब लगा घात


जब मिली उन्हे 

उत्तम शहादत गति

चांदनी रात में


रक्त ठंडा पड़ा

कंकपकाया बदन

जो रहा था बड़ा

दल बन चांदनी रात में

चांदनी रात में



स्वरचित अतुकान्त कवित

द्वारा

डॉ अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर,भारत

12.04.2023

रविवार, 9 अप्रैल 2023

बचत, एक स्वरचित अतुकांत कवित द्वारा डॉ अमित तिवारी शून्य

 स्वरचित अतुकांत कवित्त

शीर्षक बचत 

द्वारा डॉ. अमित तिवारी " शून्य"

ग्वालियर म प्र,भारत



ए कैसी नियत 

बिना बनाए 

एक आदत 

करने की बचत ।



कैसे कर पाओगे

जीवन में बरकत

सोचो सोचो

तोलो मोलो

और करो 

किफायत।


वरना तो आयेगी

घर में बाहर 

खर्चों की शामत

होगी गफलत।


तो जागो जागो

और अपनाओ

जीवन में बचाने 

की आदत।



करो करो बचत

 करो करो बचत।।



धन दौलत

या समय की 

या संसाधन की 

ही क्यों ना,


पेड़ बचाओ

जल बचाओ

बचा संसाधन

पृथ्वी का 

करो कल्याण

बचत की महिमा 

जानो 

खुद और 

मानवता पृथ्वी

पर 

होगा 

यह एहसान 

होगा यह एहसान।।


द्वारा डॉ अमित तिवारी " शून्य"

10.04.2023

ग्वालियर 🙏

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...