बुधवार, 10 नवंबर 2021

पंक्ति पर काव्य लेखन स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी शून्य ग्वालियर मध्य प्रदेश शीर्षक : बदलियाँ , बिजलियाँ और बारिशें

पंक्ति पर काव्य लेखन

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी शून्य

 ग्वालियर मध्य प्रदेश

शीर्षक : बदलियाँ , बिजलियाँ और बारिशें

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देखकर आज आपकी अदाओं को

बिजलियां, बदलियाँ  और बारिश भी

बदल लेती हैं अपनी ख्वाहिशें

 

बड़ी बेरहम सी और कातिल सी निगाहें

तुम्हारी हमें मजबूर करती हैं

करने को थोड़ी सी शरारतें

वो बनकर तुम्हारा हम पर बिगड़ना

बदलियों के मानिंद होठों से आती

सिरहन की सिसकियाँ करें बेचैन हमें

 

खनकती बालियां एतबार दिलाती हैं

लगे हमको कि बह रही हों

बारिशों से जैसे कोरी क्यारियां

तुम्हारे जिस्म की सिरहन थी वो

या थी कुछ शौख बिजलियां

बहक उठे जिनसे हमारे होश सिरे से

 

चलो अब दूर रहकर ही सही

गिरा दो आज अपनी तबोताब

भरी बदलियाँ , बिजलियाँ और बारिशें

 

हम पर हमारी चाहतों के नाम

तुम्हारा हम पर होगा एहसान सरेसाम

 

            

                       द्वारा : अमित तिवारी “ शून्य”

मंगलवार, 9 नवंबर 2021

आँखों से प्रेम में उबलते नीर एक स्वरचित लघु कथा द्वारा अमित तिवारी शून्य ग्वालियर ; मध्य प्रदेश भारत

 

आँखों से प्रेम में उबलते नीर

एक स्वरचित लघु कथा

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर ; मध्य प्रदेश भारत

 

 

राधा अपने मन में पूरी हिम्मत जुटाकर रोहित को अपने मन के भाव बता देना चाहती है| उसने अपने रिसर्च वर्क से आज हाफ डे लेकर रोहित को सरप्राइज देने के लिए, अचानक अगले आधे घंटे में अपने कॉलेज के समय के फेवरेट पास टाइम पर बुलाया है | राधा जैसे-जैसे कैफिटेरिया के नजदीक पहुंच रही थी, उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था |  रोहित वहां पहले से पहुंच चुका  था | राधा का मन आज रह -रहकर खुशी के मारे धक से धड़क रहा था | उसके अंतर्मन से मानो कोई बोझ हटकर बस रोहित को उसे अपनी जिंदगी का हमसफर बनाने के लिए मिली पारिवारिक रजामंदी के कारण आज उससे अपने प्रेम की स्वीकारोक्ति को बताने और उसे अपने मन का प्यार जाहिर करने को तड़प रहा था |  रोहित के नजदीक पहुंची राधा खुशी के मारे ब्लश  करती हुई उससे कुछ कहती,  इससे पहले ही रोहित कह उठा अरे तुमने मुझे क्यों बुलाया है  ? क्या हुआ?  सब ठीक है ना !  वैसे तुम तो बहुत खुश नजर आ रही हो | आज ,बात क्या है? अपनी बात कहने से पहले राधा  शरमाए भी जा रही थी |  रोहित से रहा नहीं गया | वह बोला खैर, कोई बात नहीं मत बताओ ना सही |  लेकिन मेरे पास भी एक बताने वाली बात जरूर है |  जानती हो;  मैं भी आज बहुत खुश हूं क्योंकि खुशी से शादी करवाने के लिए दोनों के  पापा मम्मी   राजी हो गए हैं | मैं इस बात को तुम्हें बताना चाह रहा था कि तुम्हारी ही तरफ से ऐसा सरप्राइज इनविटेशन मिल गया |  तुम ही तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो जिसे में अपने पहले प्यार के साकार हो पाने की बात बता पा रहा हूँ | राधा ने आवक सी रहते हुए रोहित की बात सुनी और मानो सन्नाटे की परतें उसके जेहन में भर आयीं हों और आँखों में उबलते नीर का एक दरिया बह उठा हो | तुरंत राधा ने खुद को संभाला और अपने आप से संवाद स्थापित कर  समझ लिया की मेरे इस बिन बताये और जताए प्रीत को आज माँ बाप से तो  अनुमति मिल गई पर हाय री  मेरी प्रीत ..... मैं अपने प्रेम को साझा और बयां कब कर पाई कि रोहित मुझसे प्रेम करता ..खेर |  उसने बिजली की जल्दी में अपने भावों के  ज्वार और उबलते नीर की सरिता को कुछ यूँ  संभाला और  अभिव्यक्त किया कि मानो वह तो कोई सामान्य सी बात का सरप्राइज देने के लिए उसे वहां बुला रही थी और सहज हो बोली अरे वाह क्या बात है ... ठीक है...  कब मिलवा रहे हो हमें भी खुशी से |  खुश कर दिया तुमने ये दोस्त ये  बात सुनाकर |  दोस्त चलो अब एक खुशखबरी मैं भी सुनाती हूं कल से अपनी रिसर्च प्रोजेक्ट छोड़कर वापस ग्वालियर जा रही हूँ |  वहां घर पर  एक डेढ़  महीने पेरेंट्स  के साथ रहकर 15 जुलाई से ट्रैवल एजेंसी ज्वाइन करूंगी इंदौर जाकर |  तुम चाहो तो कल शाम तक मेरे जाने से से पहले एक पार्टी दे सकते हो;  फिर पता नहीं कब मुलाकात हो |  मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ते  हुए अपनी आंखों से रोहित के एकांत गुमनाम और मन से किये एकतरफा प्रेम में आँखों से उबलते नीर की धारा बहाती हुई राधा ;अचानक रोहित से कही  गई उसकी बात को  सच करने कल शाम तक सब कुछ छोड़ कर दिल्ली छोड़ने का मन बना चुकी थी  |

रविवार, 24 अक्तूबर 2021

धरती – अम्बर युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

धरती – अम्बर

युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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सितम यदि कम भी करें कोई

तो भी धरती कभी अम्बर से

मिल नहीं पाती |

 

रुक्सार को धरती -अम्बर को एक दूजे के

रुक जाना था मंजूर

उसकी यादों की बाँहों में गिरफ्तार बस हो जाती |

 

मानता दिल नहीं धरती अम्बर का

कि मिलना मुमकिन नहीं

हाँ चाहतें फिर चाहतें हैं; पूरी कहाँ हो पाती है |

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

पंक्ति पर काव्य पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत ) द्वारा: अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

पंक्ति पर काव्य

पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत )

द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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हे नाथ मेरे

अगर हो

साथ मेरे

जब भी दूं

आवाज़ चले

आना

आ जाना

मेरे तन को

मन को

सपनों को

सच्चा एक दिन

करवा कर

मुझे तेरे

मेरे पास

होने का

एहसास दिला

जाना

बनकर

बारिश की बूंदें

कुछ तो प्यास

ज्ञान वाली

मुझ अज्ञानी की

बुझा जाना

जब भी दूं

आवाज़ चले आना

बनकर एक

साथी हे

हरि हर

राह मेरे

तन मन

जीवन की

तुम महका जाना

जब भी दूं आवाज़

हे नाथ मेरे मन में

चले आना ||

 

        द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

20.10.2021

 

 

 

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

जीवन – मरण स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा : अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

जीवन – मरण

स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा : अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

 

संसार है एक नाटक का मंच कोई न्यारा

जिसमे हम जीतें हैं जीवन किरदार कोई प्यारा

जीवन – मरण इसके आरम्भ और अंत सिरे

पाया क्या जीवन में  जो न मरण को जान सके

युगों की कारा में शब्दों के भाव लिए

जो आया जीवन में वो मृत्यु तय लिए पैदा प्रिये

मानव को चिंता क्यूँ जीवन –मरण की है

जब मृत्यु शाश्वत है तो देह का जाना भी तय है

इसलिए भावुकता छोड़ें तन का वितान लेकर

जीवात्मा को निज संग ही हम जाने ||

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

“राग से विराग” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर भारत

 

“राग से विराग”

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर भारत

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मुझे राग रास न आ सका

सो मुझे विरक्ति रूप में विराग ही मिला

पाना तो चाहा था कृष्ण की देह को

न मन ही मिला न श्याम खुद मिले

जब लगाया मन को कृष्ण कथ्य में

देह का अनुराग खुद ही जल गया

अब न तन की ही चाह थी  

न अधरम मधुरं का कोई ध्यान था

कर्त्तव्य पथ पर ही अब चलता रहा

मिला न तन ! न मिले शोक क्या ?

जब मिला राग को विराग करने का

कृष्णं वन्दे जगत गुरुम का भाव

हाँ में हो गया राग से तनिक विरक्त सा

वैराग्य तप उर्धत्व सा -राग रहित

विराग जनित कृष्ण कथ्य

कर्मण्य सा कर्मण्य सा ||

गुरुवार, 23 सितंबर 2021

आलेख पूर्वजों की स्मृति में किये गए श्राद्ध का महत्व द्वारा अमित तिवारी ; सहायक प्राध्यापक भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान ग्वालियर , भारत

 

आलेख

पूर्वजों की स्मृति में किये गए श्राद्ध का महत्व

द्वारा  अमित  तिवारी ; सहायक प्राध्यापक

भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान

ग्वालियर , भारत

 

 

श्राद्ध , भारतीय जीवन दर्शन  परंपरा में मनुष्य का अपने स्वयं की उत्पत्ति के कारक – पितरों, जिनके  द्वारा प्रत्यक्षतः और अप्रत्यक्ष उसकी उत्पत्ति हुई है ‘ की उपासना और उन्हें तर्पण कर उनको याद कर आशीष लेने की वैज्ञानिक परंपरा है | श्राद्ध पक्ष प्रायः भारतीय हिन्दू मास आश्विन की पूर्णिमा उपरांत कृष्ण पक्ष में अमावस्या तक मनाया जाता है | प्रायः यह  वे तिथियाँ हैं जिनमें कुल  या परिवार के पितर अवसान को प्राप्त हुए होते हैं | अतः उनके लिए किया गया श्राद्ध उनको पूजने का फल देता है और वे आशीर्वाद दे कुल के वर्त्तमान मुखिया और परिजनों का मंगल करते हैं | इन पंद्रह दिनों में क्रमशः उनकी स्मृति में प्रत्येक हिन्दू परिवार का मुखिया अपने कुल की ओर से पितरों को तर्पण करने हेतु जल का अर्घ्य देता है | घर की देहरी पर लेपन कर महिलाएं अपने कुल की परंपरा के अनुसार भोजन बना घर के मुखिया से होम करवा ब्राह्मण और उससे पूर्व गौ का भोजन करवाती हैं साथ में दान का भी महत्व है | सर्व पितृ अमावस्या का दिन इन सब तिथियों में एक विशेष फल देने वाला है ; जिसमें  उन सब पितरों जिनकी हमे विस्मृति हुई है या जिन्हें हमने कभी देखा या जिन के विषय में कभी सुना नहीं की भी तृप्ति होती है और वे सब हमे यानी अपनी इस  नयी पीढ़ी को आशीष देकर उनकी रक्षा करतें हैं | यदि वैदिक साहित्य या की लोक पद्धति को माने तो ज्ञात होगा की श्राद्ध पक्ष वस्तुतः ईश्वरीय स्तुति और मनुष्य के बीच का अनाहात द्वार है और यही भारतीय परंपरा है जिसमें देव और पितृ एक समान होते हैं | पितरों को नमन |     


द्वारा  अमित  तिवारी ; सहायक प्राध्यापक

भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान

ग्वालियर , भारत

 

बुधवार, 22 सितंबर 2021

पंक्ति पर काव्य पंक्ति : दिल ने दी आवाज़ तुम्हें द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर ; भारत

 

पंक्ति पर काव्य

पंक्ति : दिल ने दी आवाज़ तुम्हें

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर ; भारत

 

 

अकसर दिल में छिपाने की खलिश रहती है

हाँ कहे देती हूँ कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

बनने और बिगड़ने के मानिंद जिन्दगी थी

हाँ रो लेती हूँ थोडा कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

लफ्जों को कहाँ तक कोई संभालेगा यादों तले

हाँ सजदा किया करती हूँ तुम्हारा कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

मिट जाता नहीं कोई यूँ ही जहाँ में किसी पर

हाँ होती है टीस की दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

संभव नहीं था  छु लेती तुम्हारे रगों की खुश्बू जरा सी

हाँ जानती हूँ तुम भी बड़े इत्रो-आब हो गए कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें  है |

 

सरगोशी या ख़ामोशी दिल में भी है जुबां पे भी

देखती हूँ की तुम कुछ बदले से हो कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

तपस्या स्वरचित लघुकथा द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

तपस्या

स्वरचित लघुकथा

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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गौतम ने अपने पिता जी आज फिर  से बात करनी ही चाही थी| पर  आज भी पिता जी अपने पूर्व के तय कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण; पहले ही निकल गए | गौतम आज तकरीबन एक साल से अपने मन की बात को उन्हें न बता पाने के कार बहुत असहज महसूस कर रहा था | आज उसने हिम्मत करके अपने पिता जी की जगह माता जी को वो बात बता ही दी | माँ उसकी बात सुनकर मानो अपने बेटे की गुमनाम हो कर   की गई तपस्या पर मानो फूली नहीं समा रही थी | आखिर उसे यकीन नहीं हो पा रहा था की क्यूँ गौतम को वो दोनों समझ नहीं पा रहे थे | वो तो आज जब उसने अपने मन की बात माँ को बताई कि मैंने कई दिनों की मेहनत से यू टयूब पर एक चैनल बनाया है | अब  जिसके एक  लाख सब्सक्राइबर हो गए हैं | आज इसी की वजह से बाहरी दुनिया में लोग उसे जानने लगें हैं और इज्ज़त भी देने लगें हैं |पांच दिन पहले उसे यू टयूब की तरफ से  पहली कमाई के तौर एक लाख रुपये उसके बैंक अकाउंट  में मिले हैं | जिसे वो चैक के रूप में  कई दिनों से पापा को देना चाह रहा था | उसने यह सब बात बता कर माँ से कहा आप ही पापा को यह सब बता देना और ऐसा कह कर अपना लैपटॉप बैग और कैमरा वगैरह लेकर घर से अपना स्कूटर लेकर  चला गया | उमा आज भरी लेकिन ख़ुशी  के आंसू लिए अपने बेटे की इस गुमनामी में की गई तपस्या के लिए उसे मन ही मन आशीष दे रही थी और इश्वर को उसकी तपस्या को सिद्ध करने के लिए धन्यवाद भी  दे रही थी |   

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

सोमवार, 20 सितंबर 2021

विसर्जन एक अतुकांत कवित्त द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , भारत

 

विसर्जन

एक अतुकांत कवित्त

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

 

विसर्जन विचारों के मैल का

    विचारों के मैल को गला करो विसर्जन

        कर पाने को नव सृजन

           पुनर्निर्माण मन - मस्तिष्कों का

 

विसर्जन स्वार्थ की मद में गहरे होते

                कुसंस्कारों की बेल का विसर्जन

                                ताकि नवांकुर हो सकें वहां

                                                                नवीन और परिपुष्ट विचारों का

 

 

                                                                                                                विसर्जन आलस्य की बीज रूपी

                                                                                                                                प्रथाओं और पाखण्ड का विसर्जन

                                                                                                                                                तब जागेगा नव प्रभात और

                                हो जायेगा पुनुरुथान मानवता का ||

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

 

रविवार, 19 सितंबर 2021

“जीवन का ताना-बाना” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा- अमित तिवारी शून्य ग्वालियर मप्र

 

जीवन का ताना-बाना

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा- अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर मप्र

 

 

 

जीवन के ताने-बाने में

कुछ खोने में कुछ पाने में

 

जीवन एकमत कभी रहता नहीं

कभी शीर्ष पर कभी गर्त में

 

कभी प्रेम भरा सा कभी रिक्त

कभी मुक्त उन्मुक्त और विरक्त

 

जड़ चेतन में उलझा नितान्त

सदा रहता निज मन प्रेरित कुछ क्लांत

 

लाभ हानि यश अपयश के माने

हैं जीवन में मनुष्य के ताने बाने

 

हठ करता कीर्ति की और रहता सदा उदास

कंटक बोता और होती कंचन की उसको आस

 

समझो ये तो यूं ही चलता रहेगा

ताना बाना बना कर कर्म तुझे धुनता ही रहेगा

 

कहें शून्य यह भाव जीवन का सच ही है

उसका ताना बाना, जीवन को यूं जानना।

 

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर ,भारत

 

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...