रविवार, 3 अक्टूबर 2021

“राग से विराग” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर भारत

 

“राग से विराग”

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर भारत

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मुझे राग रास न आ सका

सो मुझे विरक्ति रूप में विराग ही मिला

पाना तो चाहा था कृष्ण की देह को

न मन ही मिला न श्याम खुद मिले

जब लगाया मन को कृष्ण कथ्य में

देह का अनुराग खुद ही जल गया

अब न तन की ही चाह थी  

न अधरम मधुरं का कोई ध्यान था

कर्त्तव्य पथ पर ही अब चलता रहा

मिला न तन ! न मिले शोक क्या ?

जब मिला राग को विराग करने का

कृष्णं वन्दे जगत गुरुम का भाव

हाँ में हो गया राग से तनिक विरक्त सा

वैराग्य तप उर्धत्व सा -राग रहित

विराग जनित कृष्ण कथ्य

कर्मण्य सा कर्मण्य सा ||

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...