रविवार, 24 अक्टूबर 2021

धरती – अम्बर युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

धरती – अम्बर

युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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सितम यदि कम भी करें कोई

तो भी धरती कभी अम्बर से

मिल नहीं पाती |

 

रुक्सार को धरती -अम्बर को एक दूजे के

रुक जाना था मंजूर

उसकी यादों की बाँहों में गिरफ्तार बस हो जाती |

 

मानता दिल नहीं धरती अम्बर का

कि मिलना मुमकिन नहीं

हाँ चाहतें फिर चाहतें हैं; पूरी कहाँ हो पाती है |

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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