शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

आज के दौर में

 लगे रहो निशीथ पथ पर 

बिना डरे 

डिगो मत 

फिरो मत 

समेटो मस्तिष्क की 

जिज्ञासा का जोर 

अपने बाजुओं में


कि युग अब 

किसी कृष्ण 

राम का तो नही


बिना जले मिला आत्म दीप्ति का प्रकाश है किसे ☺️☺️

*अमित तिवारी "शून्य"


©कॉपी राइट है

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...