गुरुवार, 23 सितंबर 2021

आलेख पूर्वजों की स्मृति में किये गए श्राद्ध का महत्व द्वारा अमित तिवारी ; सहायक प्राध्यापक भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान ग्वालियर , भारत

 

आलेख

पूर्वजों की स्मृति में किये गए श्राद्ध का महत्व

द्वारा  अमित  तिवारी ; सहायक प्राध्यापक

भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान

ग्वालियर , भारत

 

 

श्राद्ध , भारतीय जीवन दर्शन  परंपरा में मनुष्य का अपने स्वयं की उत्पत्ति के कारक – पितरों, जिनके  द्वारा प्रत्यक्षतः और अप्रत्यक्ष उसकी उत्पत्ति हुई है ‘ की उपासना और उन्हें तर्पण कर उनको याद कर आशीष लेने की वैज्ञानिक परंपरा है | श्राद्ध पक्ष प्रायः भारतीय हिन्दू मास आश्विन की पूर्णिमा उपरांत कृष्ण पक्ष में अमावस्या तक मनाया जाता है | प्रायः यह  वे तिथियाँ हैं जिनमें कुल  या परिवार के पितर अवसान को प्राप्त हुए होते हैं | अतः उनके लिए किया गया श्राद्ध उनको पूजने का फल देता है और वे आशीर्वाद दे कुल के वर्त्तमान मुखिया और परिजनों का मंगल करते हैं | इन पंद्रह दिनों में क्रमशः उनकी स्मृति में प्रत्येक हिन्दू परिवार का मुखिया अपने कुल की ओर से पितरों को तर्पण करने हेतु जल का अर्घ्य देता है | घर की देहरी पर लेपन कर महिलाएं अपने कुल की परंपरा के अनुसार भोजन बना घर के मुखिया से होम करवा ब्राह्मण और उससे पूर्व गौ का भोजन करवाती हैं साथ में दान का भी महत्व है | सर्व पितृ अमावस्या का दिन इन सब तिथियों में एक विशेष फल देने वाला है ; जिसमें  उन सब पितरों जिनकी हमे विस्मृति हुई है या जिन्हें हमने कभी देखा या जिन के विषय में कभी सुना नहीं की भी तृप्ति होती है और वे सब हमे यानी अपनी इस  नयी पीढ़ी को आशीष देकर उनकी रक्षा करतें हैं | यदि वैदिक साहित्य या की लोक पद्धति को माने तो ज्ञात होगा की श्राद्ध पक्ष वस्तुतः ईश्वरीय स्तुति और मनुष्य के बीच का अनाहात द्वार है और यही भारतीय परंपरा है जिसमें देव और पितृ एक समान होते हैं | पितरों को नमन |     


द्वारा  अमित  तिवारी ; सहायक प्राध्यापक

भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान

ग्वालियर , भारत

 

बुधवार, 22 सितंबर 2021

पंक्ति पर काव्य पंक्ति : दिल ने दी आवाज़ तुम्हें द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर ; भारत

 

पंक्ति पर काव्य

पंक्ति : दिल ने दी आवाज़ तुम्हें

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर ; भारत

 

 

अकसर दिल में छिपाने की खलिश रहती है

हाँ कहे देती हूँ कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

बनने और बिगड़ने के मानिंद जिन्दगी थी

हाँ रो लेती हूँ थोडा कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

लफ्जों को कहाँ तक कोई संभालेगा यादों तले

हाँ सजदा किया करती हूँ तुम्हारा कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

मिट जाता नहीं कोई यूँ ही जहाँ में किसी पर

हाँ होती है टीस की दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

संभव नहीं था  छु लेती तुम्हारे रगों की खुश्बू जरा सी

हाँ जानती हूँ तुम भी बड़े इत्रो-आब हो गए कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें  है |

 

सरगोशी या ख़ामोशी दिल में भी है जुबां पे भी

देखती हूँ की तुम कुछ बदले से हो कि दिल ने दी आवाज़ तुम्हें है |

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

तपस्या स्वरचित लघुकथा द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

तपस्या

स्वरचित लघुकथा

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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गौतम ने अपने पिता जी आज फिर  से बात करनी ही चाही थी| पर  आज भी पिता जी अपने पूर्व के तय कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण; पहले ही निकल गए | गौतम आज तकरीबन एक साल से अपने मन की बात को उन्हें न बता पाने के कार बहुत असहज महसूस कर रहा था | आज उसने हिम्मत करके अपने पिता जी की जगह माता जी को वो बात बता ही दी | माँ उसकी बात सुनकर मानो अपने बेटे की गुमनाम हो कर   की गई तपस्या पर मानो फूली नहीं समा रही थी | आखिर उसे यकीन नहीं हो पा रहा था की क्यूँ गौतम को वो दोनों समझ नहीं पा रहे थे | वो तो आज जब उसने अपने मन की बात माँ को बताई कि मैंने कई दिनों की मेहनत से यू टयूब पर एक चैनल बनाया है | अब  जिसके एक  लाख सब्सक्राइबर हो गए हैं | आज इसी की वजह से बाहरी दुनिया में लोग उसे जानने लगें हैं और इज्ज़त भी देने लगें हैं |पांच दिन पहले उसे यू टयूब की तरफ से  पहली कमाई के तौर एक लाख रुपये उसके बैंक अकाउंट  में मिले हैं | जिसे वो चैक के रूप में  कई दिनों से पापा को देना चाह रहा था | उसने यह सब बात बता कर माँ से कहा आप ही पापा को यह सब बता देना और ऐसा कह कर अपना लैपटॉप बैग और कैमरा वगैरह लेकर घर से अपना स्कूटर लेकर  चला गया | उमा आज भरी लेकिन ख़ुशी  के आंसू लिए अपने बेटे की इस गुमनामी में की गई तपस्या के लिए उसे मन ही मन आशीष दे रही थी और इश्वर को उसकी तपस्या को सिद्ध करने के लिए धन्यवाद भी  दे रही थी |   

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

सोमवार, 20 सितंबर 2021

विसर्जन एक अतुकांत कवित्त द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , भारत

 

विसर्जन

एक अतुकांत कवित्त

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

 

विसर्जन विचारों के मैल का

    विचारों के मैल को गला करो विसर्जन

        कर पाने को नव सृजन

           पुनर्निर्माण मन - मस्तिष्कों का

 

विसर्जन स्वार्थ की मद में गहरे होते

                कुसंस्कारों की बेल का विसर्जन

                                ताकि नवांकुर हो सकें वहां

                                                                नवीन और परिपुष्ट विचारों का

 

 

                                                                                                                विसर्जन आलस्य की बीज रूपी

                                                                                                                                प्रथाओं और पाखण्ड का विसर्जन

                                                                                                                                                तब जागेगा नव प्रभात और

                                हो जायेगा पुनुरुथान मानवता का ||

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , भारत

 

रविवार, 19 सितंबर 2021

“जीवन का ताना-बाना” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा- अमित तिवारी शून्य ग्वालियर मप्र

 

जीवन का ताना-बाना

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा- अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर मप्र

 

 

 

जीवन के ताने-बाने में

कुछ खोने में कुछ पाने में

 

जीवन एकमत कभी रहता नहीं

कभी शीर्ष पर कभी गर्त में

 

कभी प्रेम भरा सा कभी रिक्त

कभी मुक्त उन्मुक्त और विरक्त

 

जड़ चेतन में उलझा नितान्त

सदा रहता निज मन प्रेरित कुछ क्लांत

 

लाभ हानि यश अपयश के माने

हैं जीवन में मनुष्य के ताने बाने

 

हठ करता कीर्ति की और रहता सदा उदास

कंटक बोता और होती कंचन की उसको आस

 

समझो ये तो यूं ही चलता रहेगा

ताना बाना बना कर कर्म तुझे धुनता ही रहेगा

 

कहें शून्य यह भाव जीवन का सच ही है

उसका ताना बाना, जीवन को यूं जानना।

 

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर ,भारत

 

बुधवार, 1 सितंबर 2021

उनसे मुलाकात होना स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

उनसे मुलाकात होना

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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मिलते नहीं थे जो मुझे कभी

आज उन बिसाले सनम से

राह में उनसे मुलाक़ात हो गई

जो हम नहीं चाहते थे

आज उनसे वही बात हो गई |

 

जुल्मो सितम से था भरा

जिनका रवैया मेरी तरफ

न जाने फिर भी क्यूँ उनसे मुलाक़ात हो गई

राह में उनसे मुलाक़ात जो हो गई

अश्कों से धुल गए वो घाव

और शब्दों से बात न हो सकी |

 

गहरे थे वो जख्म; जिनकी

रुस्वायिओं के नाम से

वो एकतरफा मुलाक़ात में

आज अंजाम और तमाम  हो गई

यूँ ही  राह में उनसे मुलाक़ात हो गई |

 

हाँ बेवफाई धर्म था

उनका हरेक दौर में

लेकिन था नागवार जिनको मिलना

उनसे आज फिर यूँ ही

राह में उनसे मुलाक़ात तो हो ही गई |

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर ; म.प्र.

 

 

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...