रविवार, 19 सितंबर 2021

“जीवन का ताना-बाना” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा- अमित तिवारी शून्य ग्वालियर मप्र

 

जीवन का ताना-बाना

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा- अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर मप्र

 

 

 

जीवन के ताने-बाने में

कुछ खोने में कुछ पाने में

 

जीवन एकमत कभी रहता नहीं

कभी शीर्ष पर कभी गर्त में

 

कभी प्रेम भरा सा कभी रिक्त

कभी मुक्त उन्मुक्त और विरक्त

 

जड़ चेतन में उलझा नितान्त

सदा रहता निज मन प्रेरित कुछ क्लांत

 

लाभ हानि यश अपयश के माने

हैं जीवन में मनुष्य के ताने बाने

 

हठ करता कीर्ति की और रहता सदा उदास

कंटक बोता और होती कंचन की उसको आस

 

समझो ये तो यूं ही चलता रहेगा

ताना बाना बना कर कर्म तुझे धुनता ही रहेगा

 

कहें शून्य यह भाव जीवन का सच ही है

उसका ताना बाना, जीवन को यूं जानना।

 

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर ,भारत

 

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...