बुधवार, 1 सितंबर 2021

उनसे मुलाकात होना स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

उनसे मुलाकात होना

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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मिलते नहीं थे जो मुझे कभी

आज उन बिसाले सनम से

राह में उनसे मुलाक़ात हो गई

जो हम नहीं चाहते थे

आज उनसे वही बात हो गई |

 

जुल्मो सितम से था भरा

जिनका रवैया मेरी तरफ

न जाने फिर भी क्यूँ उनसे मुलाक़ात हो गई

राह में उनसे मुलाक़ात जो हो गई

अश्कों से धुल गए वो घाव

और शब्दों से बात न हो सकी |

 

गहरे थे वो जख्म; जिनकी

रुस्वायिओं के नाम से

वो एकतरफा मुलाक़ात में

आज अंजाम और तमाम  हो गई

यूँ ही  राह में उनसे मुलाक़ात हो गई |

 

हाँ बेवफाई धर्म था

उनका हरेक दौर में

लेकिन था नागवार जिनको मिलना

उनसे आज फिर यूँ ही

राह में उनसे मुलाक़ात तो हो ही गई |

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर ; म.प्र.

 

 

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

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