उनसे मुलाकात होना
स्वरचित अतुकांत कविता
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर , म.प्र.
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मिलते नहीं थे जो मुझे कभी
आज उन बिसाले सनम से
राह में उनसे मुलाक़ात हो गई
जो हम नहीं चाहते थे
आज उनसे वही बात हो गई |
जुल्मो सितम से था भरा
जिनका रवैया मेरी तरफ
न जाने फिर भी क्यूँ उनसे मुलाक़ात हो गई
राह में उनसे मुलाक़ात जो हो गई
अश्कों से धुल गए वो घाव
और शब्दों से बात न हो सकी |
गहरे थे वो जख्म; जिनकी
रुस्वायिओं के नाम से
वो एकतरफा मुलाक़ात में
आज अंजाम और तमाम हो गई
यूँ ही राह में उनसे मुलाक़ात हो
गई |
हाँ बेवफाई धर्म था
उनका हरेक दौर में
लेकिन था नागवार जिनको मिलना
उनसे आज फिर यूँ ही
राह में उनसे मुलाक़ात तो हो ही गई |
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर ; म.प्र.
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