धरती
– अम्बर
युग्म
शब्द आधारित अतुकांत कविता
ग्वालियर , म.प्र.
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सितम यदि
कम भी करें कोई
तो भी
धरती कभी अम्बर से
मिल नहीं
पाती |
रुक्सार
को धरती -अम्बर को एक दूजे के
रुक जाना
था मंजूर
उसकी
यादों की बाँहों में गिरफ्तार बस हो जाती |
मानता दिल
नहीं धरती अम्बर का
कि मिलना
मुमकिन नहीं
हाँ
चाहतें फिर चाहतें हैं; पूरी कहाँ हो पाती है |
द्वारा
अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर , म.प्र.