रविवार, 24 अक्तूबर 2021

धरती – अम्बर युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

धरती – अम्बर

युग्म शब्द आधारित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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सितम यदि कम भी करें कोई

तो भी धरती कभी अम्बर से

मिल नहीं पाती |

 

रुक्सार को धरती -अम्बर को एक दूजे के

रुक जाना था मंजूर

उसकी यादों की बाँहों में गिरफ्तार बस हो जाती |

 

मानता दिल नहीं धरती अम्बर का

कि मिलना मुमकिन नहीं

हाँ चाहतें फिर चाहतें हैं; पूरी कहाँ हो पाती है |

 

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

पंक्ति पर काव्य पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत ) द्वारा: अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

पंक्ति पर काव्य

पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत )

द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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हे नाथ मेरे

अगर हो

साथ मेरे

जब भी दूं

आवाज़ चले

आना

आ जाना

मेरे तन को

मन को

सपनों को

सच्चा एक दिन

करवा कर

मुझे तेरे

मेरे पास

होने का

एहसास दिला

जाना

बनकर

बारिश की बूंदें

कुछ तो प्यास

ज्ञान वाली

मुझ अज्ञानी की

बुझा जाना

जब भी दूं

आवाज़ चले आना

बनकर एक

साथी हे

हरि हर

राह मेरे

तन मन

जीवन की

तुम महका जाना

जब भी दूं आवाज़

हे नाथ मेरे मन में

चले आना ||

 

        द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

20.10.2021

 

 

 

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

जीवन – मरण स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा : अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

जीवन – मरण

स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा : अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

 

संसार है एक नाटक का मंच कोई न्यारा

जिसमे हम जीतें हैं जीवन किरदार कोई प्यारा

जीवन – मरण इसके आरम्भ और अंत सिरे

पाया क्या जीवन में  जो न मरण को जान सके

युगों की कारा में शब्दों के भाव लिए

जो आया जीवन में वो मृत्यु तय लिए पैदा प्रिये

मानव को चिंता क्यूँ जीवन –मरण की है

जब मृत्यु शाश्वत है तो देह का जाना भी तय है

इसलिए भावुकता छोड़ें तन का वितान लेकर

जीवात्मा को निज संग ही हम जाने ||

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

“राग से विराग” स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर भारत

 

“राग से विराग”

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर भारत

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मुझे राग रास न आ सका

सो मुझे विरक्ति रूप में विराग ही मिला

पाना तो चाहा था कृष्ण की देह को

न मन ही मिला न श्याम खुद मिले

जब लगाया मन को कृष्ण कथ्य में

देह का अनुराग खुद ही जल गया

अब न तन की ही चाह थी  

न अधरम मधुरं का कोई ध्यान था

कर्त्तव्य पथ पर ही अब चलता रहा

मिला न तन ! न मिले शोक क्या ?

जब मिला राग को विराग करने का

कृष्णं वन्दे जगत गुरुम का भाव

हाँ में हो गया राग से तनिक विरक्त सा

वैराग्य तप उर्धत्व सा -राग रहित

विराग जनित कृष्ण कथ्य

कर्मण्य सा कर्मण्य सा ||

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...