बुधवार, 20 अक्टूबर 2021

पंक्ति पर काव्य पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत ) द्वारा: अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर , म.प्र.

 

पंक्ति पर काव्य

पंक्ति : जब भी दूं आवाज़ चले आना (स्वरचित अतुकांत )

द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

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हे नाथ मेरे

अगर हो

साथ मेरे

जब भी दूं

आवाज़ चले

आना

आ जाना

मेरे तन को

मन को

सपनों को

सच्चा एक दिन

करवा कर

मुझे तेरे

मेरे पास

होने का

एहसास दिला

जाना

बनकर

बारिश की बूंदें

कुछ तो प्यास

ज्ञान वाली

मुझ अज्ञानी की

बुझा जाना

जब भी दूं

आवाज़ चले आना

बनकर एक

साथी हे

हरि हर

राह मेरे

तन मन

जीवन की

तुम महका जाना

जब भी दूं आवाज़

हे नाथ मेरे मन में

चले आना ||

 

        द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर , म.प्र.

20.10.2021

 

 

 

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