रविवार, 25 अगस्त 2019

“केवल ना ना की नकारात्मकता नहीं किमपि, कदाचित त्वमेव विचारम अपि सत्यम ब्राजते का भाव”



(श्रीमान रवीश कुमार )आपके Naisadak नामक ब्लॉग पर 28 मई को लिखे ब्लॉग लेख
विशालकाय सेट पर अर्णब का दौड़ना चैनलों की अंतहीन पीड़ा से मुक्ति की पुकार है


के प्रतिउत्तर मे मेरा आपको विनय :
“केवल ना ना की नकारात्मकता नहीं किमपि, कदाचित त्वमेव विचारम अपि सत्यम ब्राजते का भाव”
दिनाक 25 अगस्त 2019

अमित तिवारी “शुन्य”
आदरणीय (उदृत आलेख के विषय मे )

श्रीमान अर्नब का तो पता नहीं लेकिन
बहुत दिनों बाद आपके ब्लोग्स पुनः (लगभग 5 वर्षों बाद ) की विषय वस्तु देखकर लगता है :
१. आप सिर्फ अपने साथियों मेरा मतलब पत्रकारों पर ओक्षी भाषा मे बस भद्दे टिप्पण लिख सकते हैं
२. आपका (ब्लॉग की )विषयवस्तु जो पिछले ६-८ सालो मे अकादमिक थी अब केवल निंदापरक ,वो भी बिना किसीतर्क के
३. आलोचना एक गुण है , जो की समीक्षात्मक तरीक़े से सम्मान के साथ किया जाता है
 ४. शायद आप विरोध और सिर्फ मोदी विरोध मे ऐसे खो गए , की तार्किकता , संप्रेषण व पर सन्मान तो कही दूर बहुत दूर रह गया बस नकारात्मकता ने शायद आपकी सृजनात्मकता छीन ली हो जैसे
 देखिये हर व्यक्ति का एक औरा होता है जो उसकी प्रतिभा , ज्ञान व कौशल को दिखता है ..यकीनन आप कुशल है किन्तु शायद उपरोक्त वर्णित बिन्दुयो मे आप बीते 5-6 सालो मे घोर निरर्थक, नकारात्मक व ना जाने क्यों सिर्फ निंदा रस प्रस्तुत कर रहे हैं....
खेर यह आपका जीवन , पत्रकारिता है ..आप स्वयं मे सक्षम है स्वयं को जो कुछ भी साबित करना चाहते हो ...
मगर सच मै आज कई सालो बाद आपका ब्लॉग naisadak देखा , टटोला ....सच मैं पहले जैसी बात नहीं रही....यह मेरा आंकलन मात्र  है ..जैसे पहले कभी आपको पढ़कर लगता था अब कुछ और ही लग रहा है ..
बस नफरत मत परोसिये ...ऐसा मेरा आग्रह है दूसरा जैसे कई नेता वगेरह आपको जैसे पसंद नहीं कर पाते वैसे ही सच किसी खुले मैदान मे ऐसे भी दीखता है जैसे आप भी उन्हें पसंद नहीं करते ...तो निरपेक्ष तौर पर आप भी निष्पक्ष नहीं दिख पाते ....तो जाहिर है आप से भी सामान्य लोगो को उम्मीद है कि आप भी निष्पक्ष एवं तार्किक व सकारात्मक होंगे जैसे आप पहले थे
आदरणीय मैं ना आपका विरोधी हूँ ना आलोचक...शायद आपका प्रशंशक ही रहा हु किन्तु क्या कहू, अब आपके निष्पक्ष हो और केवल और केवल विरोध विरोध और विरोध को छोड़ कर खुले कैनवास पर निष्पक्ष व सकारात्मक पत्रकारिता का आकंशी हूँ जैसा की आप को रैमन मैगसायसाय , पुरुष्कार मिला है उसके मुताबिक आपको वर्ताव भी करना चाहिये, निश्चित तौर पर आपके द्वारा एक नकारात्मकता, विरोध च केवल विरोध की भावना व ऊपर लिखे निरर्थक ब्लोग्स विषयों की बजाये सकारात्मक , आलोचनात्मक व सार्थक व खुले मन से पत्रकारिता की जानी चाहिए न की बस सदैव नकारात्मकता
यहाँ यह भी कह दूं जो आप कर रहे है उससे बहुत ऊपर का शायद स्तर है आपका
लेकिन आपके लिए
वैरम वैरम सदैवं नास्ति उचितं च प्रवीनम
व्यक्ति हठ से नहीं निष्काम कर्म या कि आपके परिपेक्ष्य मे निष्पक्ष पत्रकारिता से ही महान होता है शायद ना की सम (peer) निंदा से
आपके किसी निष्पक्ष , नवीन , नवोदित , विचार व लेख की प्रतीक्षा मे
 शुभकामनाए आदरणीय मित्रवर



चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...