मंगलवार, 9 नवंबर 2021

आँखों से प्रेम में उबलते नीर एक स्वरचित लघु कथा द्वारा अमित तिवारी शून्य ग्वालियर ; मध्य प्रदेश भारत

 

आँखों से प्रेम में उबलते नीर

एक स्वरचित लघु कथा

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर ; मध्य प्रदेश भारत

 

 

राधा अपने मन में पूरी हिम्मत जुटाकर रोहित को अपने मन के भाव बता देना चाहती है| उसने अपने रिसर्च वर्क से आज हाफ डे लेकर रोहित को सरप्राइज देने के लिए, अचानक अगले आधे घंटे में अपने कॉलेज के समय के फेवरेट पास टाइम पर बुलाया है | राधा जैसे-जैसे कैफिटेरिया के नजदीक पहुंच रही थी, उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था |  रोहित वहां पहले से पहुंच चुका  था | राधा का मन आज रह -रहकर खुशी के मारे धक से धड़क रहा था | उसके अंतर्मन से मानो कोई बोझ हटकर बस रोहित को उसे अपनी जिंदगी का हमसफर बनाने के लिए मिली पारिवारिक रजामंदी के कारण आज उससे अपने प्रेम की स्वीकारोक्ति को बताने और उसे अपने मन का प्यार जाहिर करने को तड़प रहा था |  रोहित के नजदीक पहुंची राधा खुशी के मारे ब्लश  करती हुई उससे कुछ कहती,  इससे पहले ही रोहित कह उठा अरे तुमने मुझे क्यों बुलाया है  ? क्या हुआ?  सब ठीक है ना !  वैसे तुम तो बहुत खुश नजर आ रही हो | आज ,बात क्या है? अपनी बात कहने से पहले राधा  शरमाए भी जा रही थी |  रोहित से रहा नहीं गया | वह बोला खैर, कोई बात नहीं मत बताओ ना सही |  लेकिन मेरे पास भी एक बताने वाली बात जरूर है |  जानती हो;  मैं भी आज बहुत खुश हूं क्योंकि खुशी से शादी करवाने के लिए दोनों के  पापा मम्मी   राजी हो गए हैं | मैं इस बात को तुम्हें बताना चाह रहा था कि तुम्हारी ही तरफ से ऐसा सरप्राइज इनविटेशन मिल गया |  तुम ही तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो जिसे में अपने पहले प्यार के साकार हो पाने की बात बता पा रहा हूँ | राधा ने आवक सी रहते हुए रोहित की बात सुनी और मानो सन्नाटे की परतें उसके जेहन में भर आयीं हों और आँखों में उबलते नीर का एक दरिया बह उठा हो | तुरंत राधा ने खुद को संभाला और अपने आप से संवाद स्थापित कर  समझ लिया की मेरे इस बिन बताये और जताए प्रीत को आज माँ बाप से तो  अनुमति मिल गई पर हाय री  मेरी प्रीत ..... मैं अपने प्रेम को साझा और बयां कब कर पाई कि रोहित मुझसे प्रेम करता ..खेर |  उसने बिजली की जल्दी में अपने भावों के  ज्वार और उबलते नीर की सरिता को कुछ यूँ  संभाला और  अभिव्यक्त किया कि मानो वह तो कोई सामान्य सी बात का सरप्राइज देने के लिए उसे वहां बुला रही थी और सहज हो बोली अरे वाह क्या बात है ... ठीक है...  कब मिलवा रहे हो हमें भी खुशी से |  खुश कर दिया तुमने ये दोस्त ये  बात सुनाकर |  दोस्त चलो अब एक खुशखबरी मैं भी सुनाती हूं कल से अपनी रिसर्च प्रोजेक्ट छोड़कर वापस ग्वालियर जा रही हूँ |  वहां घर पर  एक डेढ़  महीने पेरेंट्स  के साथ रहकर 15 जुलाई से ट्रैवल एजेंसी ज्वाइन करूंगी इंदौर जाकर |  तुम चाहो तो कल शाम तक मेरे जाने से से पहले एक पार्टी दे सकते हो;  फिर पता नहीं कब मुलाकात हो |  मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ते  हुए अपनी आंखों से रोहित के एकांत गुमनाम और मन से किये एकतरफा प्रेम में आँखों से उबलते नीर की धारा बहाती हुई राधा ;अचानक रोहित से कही  गई उसकी बात को  सच करने कल शाम तक सब कुछ छोड़ कर दिल्ली छोड़ने का मन बना चुकी थी  |

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...