स्वागत
नववर्ष का
स्वरचित
अतुकांत कविता
द्वारा
अमित तिवारी ‘शून्य‘
स्वागत करें, नववर्ष का,
स्वागत करे, नवसृजन का,
समय पर जोडें नई पताका,
ध्यान कर नव कर्त्तव्य का,
निज
नैपथ्य पर, सृजन अपनी सृष्टि,
से
निर्मित कर नई दृष्टि,
कर
कुछ अतिरिक्त,
संकल्पों की वृष्टि,
बनायें
नव वितान उत्थान पतन की,
बीते
की बात विसार कर,
स्वयं
को सृजित कर,
नवीन
विमायें साकार कर,
स्वयं
के देखे स्वप्न आवृजित कर,
समय तो समय है,
नया तो कलेण्डर है,
फिर भी स्वागत है,
बीते के क्रम में जो नया है,
स्वागत नए समय का है
द्वारा
अमित तिवारी ‘शून्य‘
ग्वालियर
(म.प्र.)
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