डर से नौका पर करोगे
क्या कहते हो कर्म करोगे
इच्छा के शोषित दर्प में डरकर
क्या सोच सकोगे खुद से छिपकर
कर्मठता से यूँ निज संताप रहोगे
इच्छाशक्ति को यदि प्रतिफलित करोगे ||
साकार रहो या निर्विकार रहो
पर स्वय के विश्वास में रहो
गढ़ों स्वप्न और बढ़ो कल्प
क्योकि निज-मन से ही जीतना है विश्व संकल्प
हो गया कांतिमय धवल धरातल
पर इच्छाशक्ति बिन सब है रसातल ||
निज मन पर कुंठा के मत प्रहार करो
सहो ,हरो और इच्छाशक्ति को कुछ गढो
इच्छाशक्ति से खुद कि पीर रहो
इच्छाशक्ति से जग की नव तस्वीर भरो ||
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
04.12.2020
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर
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