रविवार, 20 दिसंबर 2020

लधुकथा ‘अवसर' द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य'

  लधुकथा अवसर'

द्वारा अमित तिवारी शून्य'

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क्रिकेट के गली के टूर्नामेंट के धनी हितेश और उसकी टीम अपनी इस अवकाशीय हफ्ते में छुट्टियों का आनंद लेते हुए ; मोहल्ले के सारे मित्र मण्डली के साथ सामने वाली चौड़ी सडक और आधे खाली मैदान में स्वयं के आनन्द के लिए क्रिकेट की मित्रवत आजमाइश कर रहे थे। नितेश आज बडे भाई हितेश के कहने पर क्रिकेट खेलने तो आ गया लेकिन हमेशा की तरह उसकी आँखें, मन और  मस्तिष्क अनेक रंगीन स्वप्नों की दुनियां में रहकर सृष्टि के सपनों में डूबते और उतरते मन की परिधि मे लटक रहे थे। हितेश ने अपनी टीम में नितेश को भी चुन लिया अमूमन नितेश एक अच्छा बोलर व अच्छा आलराण्डर हुआ करा था और सभी मित्रों के बीच सम्मान का पात्र था; हाँ उसकी हुए आशिक होकर तब्दील हुयी, मनःस्थिति की बात से कोई भी वाकिफ नहीं था; हाँ हितेश को उम्र के दौर के अनुभव के आधार पर नितेश के हाव भाव से उसके इश्क के बुखार का थोडा तो अंदाजा हो आया था। बहरहाल टॉस हितेश की टीम ने जीता; टोली जम आई बेटिंग जोडी आई और गई होते हुए मैच का लुत्फ ले रही थी। नान स्ट्राकिंग एण्ड पर खड़ा हितेश नितेश और उसके नीरस क्रिकेट को देखकर अचंभित और चिंतित था। तभी हितेश ने देखा कि बार बार नितेश शर्मा आंटी की बालकनी व छत की ओर देखे जा रहा था; हो ना हो सृष्टि की झलक मिल जाए इस कारण से नितेश  शायद अपनी नजर हर पल वही; यानि गेंद या क्रिकेट से ज्यादा बालकनी पर  लगाए हुए था। हांलाकि वहा कोई पत्ता तक हिलने का आभास भी नहीं था। अब कुछ ही गेंदों के बाद नितेश ने स्ट्राकिंग छोर पर आकर गेंद को जोर से मारकर शर्मा आंटी की छत पर मार दिया और अचानक उसकी खुशी व चेहरे का पारावर ना था। वह बहुत सहज और संतुलित किन्तु कातर आंखों से हितेश की तरह देखते हुए बोला अब क्या करूं? कहता हुआ...मैं ही बोल लिए आता हूँ; कहते हुए चहलकदमी करते हुए तेजी से निकल पड़ा ...साथ ही उसके ह्रदय मन और चेहरे  के भाव एक मादक आनंद से भर गए। तेज कदमों से वह शर्मा आंटी के मकान के दरवाजे पर पहुची ही था;कि एक आकर्षक आवाज आई ये लीजिए आपकी बॉल कहते हुए, सृष्टि ने घर के दरवाजे खोले मानो नितेश के लिए सृष्टि के दिल के दरवाजे खुलने का अवसर था । खास ही अवसर था ।

द्वारा अमित तिवारी शून्य


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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...