दीपक
अतुकान्त स्वरचित कविता
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर म. प्र.
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दीपक के गहरे,
भाव संबंध,
ज्योति के संग,
तिमिर को हरते,
दोनों मिल,
प्रकाश को,
सृजते,
नित निशा,
को दिवा,
सम करते,
फिर भी,
ज्योति जल जाती,
दीपक रह जाता,
खाली,
इस बिडम्बना के,
साए में पलते,
फिर भी,
दीपक ज्योति,
साथ में,
पलते
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर म. प्र.
दिनांक 07/12/2020
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