मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

अपनों का भरोसा न बन पाने की झिझक की एक मार्मिक लघु कथा : अविश्वास द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

 

अपनों का भरोसा न बन पाने की झिझक की एक मार्मिक लघु कथा : अविश्वास
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
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नव्या रोज की तरह रात को खाना खाकर टहलने की तैयारी में थी , तभी पापा (दिनेश ) ने बिटिया नव्या को बताया की कल तो तुम्हारा परीक्षा परिणाम आने वाला है I अचानक नव्या का खिला हुआ चेहरा थोडा अचरज से चिंताग्रस्त हो आया; हालाँकि पापा की बात को अनसुनी करके नव्या अपना मोबाइल फ़ोन उठाकर टहलने निकल आई I पापा की बात उसके जेहन में थी, हालाँकि बाहरी मन से वो उन्हें सहज होने का एहसास देती हुयी बाहर आ गयी थी, किन्तु मन में कहीं न कहीं परीक्षा परिणाम की बात की कुछ अंदरूनी प्रतिक्रिया थी ; जिसकी चिंता नव्या के चेहरे पर रह- रह कर उभर आ रही थी I शायद इसी परिपेक्ष्य में नव्या ने अपनी सहेली अनुभा को फ़ोन किया I फ़ोन की पहली घंटी बजते ही अनुभा ने फ़ोन उठा लिया ..और तपाक से बोली....  मैं तुम्हे ही फ़ोन करने वाली थी, अच्छा हुआ तुमने खुद फ़ोन लगा लिया, इस पर नव्या ने टहलते हुए डरे हुए मनोभाव से कहा ...अनुभा कल रिजल्ट आने की बात सुन रहे हैं क्या सही  है .... अनुभा ने कहा हाँ ! पर तुझे इतनी चिंता क्यों हो रही है ?
तू तो हमारे बैच की सबसे होनहार छात्रा रही है ..तेरी तैयारी भी अच्छी थी फिर यह चिंता कैसी ? नव्या रुंधे गले से बोली ..रिजल्ट की मुझे कोई चिंता नहीं है ..बस रिजल्ट की बात सुनकर लगा की की अब कॉलेज में दाखिले लेने के लिए माँ बाप से दूर जाना पड़ेगा और अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉलेज लेना है तो बहुत अच्छे अंक भी लाने होंगे ..क्या मैं मेरे पापा का सपना साकार कर पाऊँगी ? ....क्या पापा मुझमें जो अविश्वास दिखाते आये हैं वो मैं ख़त्म कर विश्वास जगा पाऊँगी ?...ऐसे कहकर नव्या की आँखों से आंसू बह उठे ....जिसे वो अपनी हथेलियों से छिपाती रही ...पापा ऊपर बालकनी में खड़े हुए नव्या की बात को अनसुनी न कर सके और सोचने लगे की मेरी नव्या कितनी समझदार हो गयी है;.... तीन बार की स्कूल की टोपर आज सिर्फ मेरे देखे सपने को साकार करने के लिए उसने इस साल कड़ी मेहनत की थी ...और मैं जानता हूँ की वो बहुत अच्छे अंक भी हांसिल कर लेगी और दिल्ली विश्वविद्यालय में उसे मनचाहा कॉलेज भी मिल जाएगा I लेकिन आज दिनेश को खुद की बेटी में दिखाए गए अविश्वास पर अफ़सोस था ...उनकी आँखों में पश्चाताप के आंसू थे I जिससे वो नव्या को समझेने में उनसे हुयी भूल और अविश्वास के लिए खुद को माफ़ नहीं कर पा रहे थे ..तभी नव्या अनुभा से अपनी बात पूरी करके ...अपने आप को सामान्य कर अन्दर आ चुकी थी ...जब चेंज कर के सोने के लिए अपने कमरे में जा रही तभी पापा ने नव्या का हाथ पकड़कर उसे अपने पास बुलाया ...उसे अपने पास बिठा कर कहा ...बेटे तुम्हे मैंने समझने में जो गलती की और तुम पर अविश्वास किया उसके लिए मुझे क्षमा कर दो ....नव्या भी अवाक् सी अपने पापा की आँखों से बहते पानी को देख अपने आंसू न रोक सकी और पापा की गोदी में सर रख के सुबकने लगी ....दोनों अब एक दुसरे के प्रति अनजाने में बना बैठे अविश्वास को भुला चुके थे I भावुक बाप बेटी .....अब हलकी नजरो से अपलक अपने अपने कमरों में सो चुके थेI सुबह दिनेश को फ़ोन पर अनुभा ने बताया की नव्या ने पूरे प्रदेश में टॉप किया है ...थोड़ी ही देर में टीवी , अखबार सब में यह खुश- खबर सुनने को मिली I दोपहर तक तो घर में नव्या के इंटरव्यू के लिए मीडिया के लोगों , रिश्तेदारों का ताँता सा बंध गया I नव्या के व्यस्त दिन के इस क्षण में दिनेश खुद को उस अविश्वास के लिए अब भी ह्रदय से कोस रहे थे I दोनों अबखुश और शांत थेI
 
द्वारा : अमित तिवारी “शून्य”   
08.12.2020

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...