बुधवार, 30 दिसंबर 2020

शून्य की वापसी एक अतुकांत कवित्त द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ग्वालियर म.प्र.

 

शून्य की वापसी

एक अतुकांत कवित्त

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

ग्वालियर म.प्र.

 

अंक की हैसियत

की कैफ़ियत क्या कहिये

कुछ हिसाब ही नहीं था

एक स्वयं के अहम् में

दर्प का यूँ ही

डंका सा बजा था

तोड़ देता वो करके कोशिश

लेकिन चुप रहा

आखिर शून्य था

सबसे छोटा और कुछ

सहमा सा डरा सा

अंको के अहम् के

गणित में कुछ अनपढ़

सा बना

खड़ा रहा

शून्य का अहम् बस

शून्य था

कुछ बेमोल था

दे रहा था मगर

खामोश दार्शनिक भाव

जिसके बिन मूल्य के

बिक जाने से पहले

के त्याग को समझ

नहीं पाया अंको का परिवार

हुआ पारावार

सबका बेडा पार

अंकों को वामांग कर

शून्य ने भर दिया

उनका भण्डार

मिट गया मिथक

शून्य के “न्यून” होने का

नहीं; कहीं वरन खोने का

यह तो वापसी है शून्य की

एक हरफनमौला की

शून्य की तासीर की

शून्य की ताबीर की

अंको में बिन मोल

मगर अंको के मोल को

मगर बढ़ा पाने की

शून्य की वापसी

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

 

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...