युग्म शब्द आधारित
काव्य रचना
“जाना- पहचाना”
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
अतुकांत कविता
कौन नहीं जानता
उनको
वो कान्हा सबका
जाना – पहचाना,
बना सारथी धर्म
युद्ध में
परन्तप को मिला
ज्ञान अनजाना,
मन को भाता प्रेम
उसी का
कहलाता सबका ईश्
वो जाना -पहचाना,
दिव्य दृष्टि देकर
जिसने
दिखा दिया निजरूप
विराट
पर था जग ने उसको
कब जाना ,
स्रष्टि को दृष्टि
दे डाली
दिया प्रेम , कर्म
का ज्ञान जाना -पहचाना,
आज तुम्हारे दर्शन
को तरसें
नर नारी पर कृष्ण
तो सबका जाना -पहचाना,
खोलें अन्तर्मन की आँख
पाएं निज मन में
कान्हा जाना -पहचाना ||
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