सोमवार, 2 अगस्त 2021

सखा स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य” ====================

 

सखा

स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

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कृष्ण कथ्य  

जांच लूं जरा सा |

उसके पथ पे

मैं डिगू जरा सा |

क्यों ना उससे

जा मिलूं मैं; हूँ डरा सा |

सोचता हूँ मन से

वो सखा मेरा प्यारा सा |

क्या लगेगा रानियों को

जाना, वहां मेरा कुछ बुरा सा |

कि अकिंचन मैं हूँ

और वो सम्राट इस वसुधा का |

जानकार वो क्या सोचेंगे

मैं हूँ शर्मिंदा जरा सा |

तू मेरा बाल सखा है

फिर से दे जीने की दिलासा |

मैं तेरा अकिंचन सुदामा

हूँ तेरे निज नेह का प्यासा सा |

हाय कैसी बिडम्बना

मन तो मेरा तुझी में रमा सा |

पर क्यों तुझ बिना श्याम

क्यों लगे की मैं हारा सा |

हे सखा मुझे पास बुला

दे दो मुझको तुम दिलासा ||

द्वारा: अमित तिवारी “शून्य”; ग्वालियर , म.प्र.

 

 

 

 

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...