बुधवार, 4 अगस्त 2021

डोली बदल की एक स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

 

डोली बदल की

एक स्वरचित अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

 

अम्बर पर छाई एक अद्भुत परछाई |

जो मैंने अंकों देखी डोली बादल की ||

 

मन में उमड़ आई एक दिलासा भाई |

जो मैंने देखी डोली बादल की ||

 

थिरकन बदली धड़कन आई |

जो मैंने देखी डोली बादल की ||

 

मन से गर्मी का राग भी छूटा गई |

जो मैंने देखी डोली बादल की ||

 

आस पास अब हरियाली ही छाई |

जो मैंने देखी डोली बादल की ||

 

द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

05.08.2021

 

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