रविवार, 8 नवंबर 2020

चित्रलेखन आधारित श्रंगार रचना प्रेम की अविरल नैय्या में स्वरचित द्वारा अमित तिवारी “शून्य”

 


चित्रलेखन आधारित श्रंगार रचना

प्रेम की अविरल नैय्या में

स्वरचित द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर म.प्र.

----------------------------------------------

 

प्रेम की अविरल नैय्या में

तुम बन प्रीत चली आओ

मैं तुमको पा जायुं यूँ

की तुम मैं हम बस हो जायें

नेह की पीड़ा को धड़कन में

लेकर बस खो मैं जाऊं

 

वैरागी मन में अनुराग जगा

सिरहन सी तुम गुम होती हो

साया तेरा मैं पा न सका

तेरी मेरी कुछ भूल रही अक्सर

यद्यपि अक्षुण्ण रही प्रीत मेरी

तुझमे बस बसती जान मेरी

लेकिन बस काया का यह नेह नहीं

यह आत्मा का अनुपम नाता है

हो सकता है तेरे प्रेम का

न उत्तर मुझको देना आता हो

पर खरी प्रीत का नायक हूँ

हाँ अपनी धुन का वाहक हूँ

पर तुझ पर ही वारा जाता हूँ

तुझसे मिल पूरा सा हो जाता हूँ

हो जीवन संगिनी तुम

प्रेम सरिता, ज्योति सी

जलती हो दीपा

 

स्वरचित द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर , म.प्र

कोई टिप्पणी नहीं:

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...