दीपोत्सव
स्वरचित लघुकथा
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर मप्र.
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लाजपत नगर मार्केट में ढाबे से खाना खाकर अमित जल्दी जल्दी तेज कदमों से आफिस में वापस आया।वापस आने पर रोज की तरह आज आफिस में साथी सहकर्मी नही दिख रहे थे; मैनेजर साहिबा ने पूछा आज तुम जल्दी लंच करके आ गए? क्या बात है! अमित ने सामान्य लहजे में मैनेजर को जबाव दिया और अपने काम में लग गया और अपनी फाइले और टुअर की सारी रिपोर्ट्स वगैरह को निबटाकर तय समय पर कार्यालय से निकलने के लिए खडा हुआ। तभी उसमें अपने मेज के नीचे से बडा ट्राली बैग खीचा और मैनेजर की कैबिन की तरफ आगे बढ़ा। कैबिन के बाहर से दरवाजे पर नॉक करते हुए, दबे हुए शब्दों में अंदर आने की अनुमति मांग, मैनेजर साहिबा के सामने कैबिन में रखे सोफे पर बैठ गया। और मैडम के फ्री होने का इंतजार करने लगा। तभी मैडम ने बडे आश्चर्य से पूछा- अरे अमित इतना बडा ट्राली बैग लेकर क्यों आए हो! अमित ने जबाव दिया कि मैं, दीपोत्सव मनाने घर जा रहा हॅू मैने इसके लिए 10 दिन पहले छुट्टी का आवेदन स्वीकृत करा लिया था। आज दो घण्टे बाद निजामुद्दीन स्टेशन से मेरा रिज़र्वेशन है। सुनते ही मैनेजर साहिबा बोली - अरे हॉ याद आया तुमने आवेदन दिया था, तो दीवाली की शुभकामनाएं देने आए हो ...उनके ऐसे वक्तव्य को सुनकर अमित ने बिना बोले स्वीकृति दे दी जिसके जबाव में मैनेजर साहिबा ने कहा पर इतनी बडी ट्राली क्यो? थोडा असहज होते हुए अमित ने जबाव दिया पूर 1 साल बाद घर जा रहा हॅू और नौकरी लगने के बाद यह मेरी पहली दीवाली है, इसलिए सबके लिए दीपोत्सव के त्यौहार को मनाने के लिए छोटे-छोटे उपहार ले जा रहा हॅू। अमित की बात सुनकर मैनेजर साहिबा के चेहरे पर भावुकता झलक आई ओर भरे गले से अमित को दीपोत्सव की शुभकामनाएं देती हुई बोलीं- इतने दूर रहकर भी परिवार के बारे में सोचते हो ये निश्चित तौर पर परिवार और तुम्हारी आत्मीयता का परिचायक है। इतने व्यस्त समय में भी अकेले इतने सारे उपहार खरीदना, ले जाना और सबके बारे में सोचना, यह तुम्हारे दीपोत्सव के प्रति परंपराओं के निर्वहन और उन्हेा बनाए रखने के तुम्हारे पारिवारिक संस्कारों को दर्शाती है। घर पर जाकर बडों को मेरा प्रणाम और दीपोत्सव की शुभकामनाएं देना । ‘’हॉ और फोन स्विच आफ मत करना……………’’ , दीपोत्सव के बाद बहुत सारे टुअर फाइल्स् हमें मैनेज करने है। जरूरत पड़ी तो मैं तुमसे फोन पर बात करती रहूगी। ऐसा कहकर टेबल पर पड़ी डिजीटल घण्टी बजाकर ड्राइवर रमेश को बुलाया और उसे अमित को खुद की कार से निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन छोडने का इशारा किया । अमित थोडा सकुचा फिर चुपचाप मैनेजर साहिबा के भावुक चेहरे को देखकर सिर हिलाकर धन्यवाद देते हुए उन्हे दीपोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए बाएं हाथ से ट्रॉली खीचते हुए कमरे से बाहर आ गया।
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर मप्र.
दिनांक - 10/11/2020
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