गुरुवार, 26 नवंबर 2020

भाव-पल्लवन “पढ़ें फारसी बेचें तेल” द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’ =================

 

भाव-पल्लवन

“पढ़ें फारसी बेचें तेल”

द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’

=================

 

आज के युवाओं के वर्त्तमान परिपेक्ष्य में उनकी क्षमता, दक्षता और उनकी कार्मिक संलग्नता के बीच जो घोर अंतर देखने को मिलता है वो उनके प्रति एक घोर संकुचित व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण को पैदा करता है I जिसे मध्यकालीन भारत में मुगलों द्वारा फ़ारसी पढ़ने जैसे उच्च क्षमता के कार्य के तौर पर जोड़ा जाता है ; वहीँ उस स्तर की क्षमता का प्रयोग मात्र उथले और सतही कर्मों जैसे तेल बेचने जैसे कर्मो को सृजित करने में किया जाता रहा है I तो शाब्दिक व्यंजना, जिससे - कुछ उम्दा करके भी उथला परिणाम देने का भाव सृजित होता है व एक असंतुलन का भव्य प्रदर्शन होता है जैसे- सहजतम- सफलता आसान स्रोत तो नहीं किन्तु व्यक्ति विशेष यदि, उच्चतम क्षमता होने पर भी साधारण परिणामो को सृजित करता है तो असाधारण कर्मों से अति साधारण परिणामों की प्राप्ति ज्ञापित होती है जिससे स्थितियों का बनना व वर्तमान परिपेक्ष्य में उस उक्ति जिसे “पढ़ें फ़ारसी , बेचें तेल” कहते हैं का चरितार्थ होना भी प्रदर्शित करता है; यद्यपि यह व्यंग्य तो है पर क्षमता और परिणामों के बीच के असंतुलन पर सुन्दर शब्दों का एक जबर्दस्त समायोजन और प्रदर्शन भी है I

अतः क्षमता के मुताबिक परिणामों के सृजन, हेतु प्रयास और संसर्ग दोनों का गढ़े जाना, आज के युवा से अपेक्षित महत्वपूर्ण कारक हैं I

   द्वारा अमित तिवारी शून्य

कोई टिप्पणी नहीं:

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...