चित्र आधारित
स्वरचित अतुकांत कवित्त
द्वारा अमित तिवारी “शून्य“
साथी साथ चलना
है
मंजिलों पर हक़
तो अपना है
जीत सबका सपना
है
रखकर इरादे ऊँचे
वादा तो पूरा करना है ||
मुश्किलें तो
आती हैं,
मगर वो दूर हो
जातीं हैं,
बंदिशों से अपने
लिखनी यह पाती है,
जीत की इबारत थोड़ी
सी जो बाकी है ||
मन एक कभी
हारेगा,
दूजा उसको
सराहेगा,
मिलकर मंजिल पर
दोस्त उसे पहुंचाएगा,
यह सब दल बल का
काम होगा ,
तभी विजय पर हम
सबका नाम होगा ||
द्वारा
अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर
म. प्र.
16.07.
2021
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