क्रिकेट
की हार और ईदी;
एक स्वरचित
लघु कथा
द्वारा
अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर
, म.प्र.
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भारत और पाकिस्तान के मैच का जिक्र आज
यहां मैनचेस्टर में भी था और दोनों ही विश्व स्तरीय क्रिकेट टीमों के बीच की
प्रतिस्पर्धा का आलम यह था कि अश्फाक और अमन दोनों के ही घर पर अपनी-अपनी टीमों को
जिताने की परिपूर्ण ख्वाहिश न केवल उन दोनों पड़ोसी अप्रवासी परिवारों को उल्लासित
कर रही थी; बल्कि दोनों को ही अपने-अपने मुल्क
पर मान और उनकी जीत के जज्बे को उन दोनों देशों के बीच ही राइवल्री आज दोनों ही
पड़ोसियों को भी गैरमुल्क इंग्लैंड में अपने मुल्क की नुमाइंदगी करने का मौका भी
दे रही थी।
वैसे अश्फाक और अमन पाकिस्तानी और
भारतीय होने के साथ-साथ दोनों आपस में अच्छे पड़ोसी और एक अच्छे दोस्त बल्कि भाई
जैसे थे लेकिन क्रिकेट के खेल के जज्बे ने दोनों को क्रिकेट के लिए ही सही कुछ देर
के लिए अपने मुल्क की हिमायत करने और एक इंस्टेंट रायवलेरी को महसूस करवा ही दिया
| दोनों अपने- अपने वतन से कोसों दूर; एक सी जुबान, संस्कार और अपने को भारतीय
उपमहाद्वीप का होने के नाते एक परिवार से कम नहीं मानते थे , लेकिन आज इस मैच को
लेकर दोनों के बीच मित्रता आधारित ही सही प्रतिस्पर्धा तो बन ही आई थी | अश्फाक को सचिन तेन्दुलकर पसंद
है ,लेकिन वह अकरम से पाकिस्तान के लिए मौका चाहता है | वहीं अमन को शोएब पसंद है
पर आज वह शोएब के पीटे जाने की दुआ कर रहा
है | घर से दोनों एक ही कार से साउथ एवेन्यू के रास्ते ऐतिहासिक ओल्ड ट्रैफर्ड
ग्राउंड पहुंच रहे थे; अमन और अश्फाक अपनी-अपनी टीमों के जर्सी के रंग में रंगे थे ; हालांकि एक ही कार में
ग्राउंड पर मैच देखने के लिए एक साथ ईद के दिन एक दूसरे के घरों से भेजे गए
व्यंजनों को खाते पीते ग्राउंड पर दर्शक दीर्घा में पहुंचे |
टिकट के आधार पर
आसपास की सीटों पर बैठ गए | ग्राउंड में क्रिकेट के बुखार के शुमार में दोनों
मुल्कों के लोगों की फौज इस खेल के कलेवर में अपनी-अपनी उम्मीदों के रंग भर रही थीं,
खेल की ऊर्जा और उतार-चढ़ाव बिजली और बादल की सी कौंध के साथ चलता रहा ,कभी
पाकिस्तान हावी होता तो कभी भारत और कभी दोनों पर क्रिकेट और क्रिकेट का खेल के
रोमांच की मस्ती | इस गैर मुल्क में भी अप्रवासियों के अपने आपस के स्नेह के
साथ-साथ क्रिकेट और मुल्क के प्रति प्रेम और आदर का भाव उन्हें देश के लिए देश से
दूर होने पर भी हर धड़कन पर जोड़ रहा था |
ईद के त्यौहार की खुशी कोसों दूर भारत और
पाकिस्तान में भी क्रिकेट की साझी प्रीत के साथ मनाई जा रही थी | बहरहाल खेल के
मैदान पर पाकिस्तान एक नजदीकी हार की कगार पर आ गया था अश्फाक उदास था और अमन झूम
रहा था लेकि अश्फाक के प्रति संवेदना उतनी ही गहरी थी | अश्फाक पाकिस्तान की एक
नजदीकी हार से से गमगीन था ...सो अमन ने
उसे लगा अपने भाई समान दोस्त को कहा ‘’अच्छा खेलकर, एक अच्छी टीम से हारना कोई दुख
की बात नहीं है’’... चलो दोस्त अब घर चलें आज भारत की जीत पर आंटी से ईदी लेनी है | जब दोनों घर पहुंचे तो तस्लीमा ने परिवार समेत
अपने बेटे जैसे अमन को क्रिकेट का बैट दिया जो उनकी अमन रूपी ईदी थी | जिस पर लिखा था “अमन के लिए अमन का पैग़ाम ,जीते
रहो जीतते रहो” अमन की आंख भर आई और
वह मां समान तस्लीमा के पैरों में गिर पड़ा तस्लीमा ने उसे अपने बेटे की तरह गले से लगा लिया ; दोनों
परिवारों में ईद की खुशी और अमन की इबादत थी ।
द्वारा अमित
तिवारी “शून्य”
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