बुधवार, 28 जुलाई 2021

मौन के अंतर्मन का सार एक लघु कथा (स्वरचित) द्वारा अमित तिवारी शून्य ग्वालियर म प्र

 

मौन के अंतर्मन का सार

एक लघु कथा (स्वरचित)

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर म प्र

 

नंदरानी की बातों को सुनती प्रिया, आज जैसे प्रत्युत्तर में कोई शब्द कहना ही नहीं जानती हो। जैसे उसके अंतर्मन में अनुजा की बातें मानो कोई अनुनाद कर ही नहीं रही थी, या उस पर उनका कोई असर हो ही नहीं रहा हो जैसे। यद्यपि अनुजा अपने स्वर की तीव्रता और  उसके कठोरतम स्तर पर आ चुकी थी। फिर भी प्रिया की प्रतिक्रिया हीनता  ने आज पहली बार , अनुजा को गंभीर शर्म में डाल ही दिया।   वही चिंतन की प्राथमिक सकारात्मक सोच आज पहली बार अनुजा को समझाइश दे रही थी ,कि किसी को अपशब्द कहने या कठोरतम शब्द कह लेने भर से रिश्ता पर हक नहीं जमता और ना ही रिश्तो की तारतम्यता बंधती है ।उलट प्रिया के प्रति उसे अपनी ओर से पहली बार अंतर्मन में ग्लानि का भाव जागृत हुआ । वही प्रिया आज अमितेश के कहे शब्दों को "कि तुम बस अपने मन के अंतर्मन का सार समझो तुम्हें शब्दों की विभीषिका डिगा नहीं पाएगी" !!

 

 

सुबह की सकारात्मकता और "मौन के अंतर्मन के सार ने" मानो दोनों भाभी और ननद के रिश्तो की खलिस को धो दिया हो जैसे! अमितेश की बात को मान प्रिया अनुजा के अधिक नजदीक और अनुजा प्रिया को अधिक प्रिय हो गईं।

स्वरचित लघु कथा

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर म प्र

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...