गुरुवार, 29 जुलाई 2021

“चाय और बारिश” जीवन के एकात्म कोनो से निकले संस्मरण का एक परिदृश्य : द्वारा अमित तिवारी

 

“चाय और बारिश” जीवन के एकात्म कोनो से निकले संस्मरण का एक परिदृश्य

द्वारा

अमिततिवारी

सहायक प्राध्यापक

भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान ग्वालियर

 

जीवन परिदृश्य के विभिन्न पहलुओं को तलाशने पर पता चला कि चाय जीवन का एक महत्वपूर्ण व अभिन्न अंग जैसा ही है |  और यदि बात करूं खुद की जीवन यात्रा की तो चाय और बारिश से जुड़े संदर्भों को तलाशने बैठा तो पाता हूं, की अनेकों यादें मन में उजागर हो आयीं| बहराल संदर्भों की परिधि में से एक आत्म स्मरणीय पल अकस्मात स्मृति पटल पर केंद्रित हो आया।

बात तो वर्ष 2007 की है जब अपनी अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए पहला इंटरव्यू देने के लिए, बेकअन टूर्स नाम की एक इनबॉउंड ट्रैवल कंपनी में अपने दिल्ली प्रवास पर आ चुका था| मुझे याद है कि वो 20 जुलाई का दिन था | जैसे तैसे अपने स्थानीय दिल्ली निवास से जैसे तैसे  लाजपत नगर 1 में उनके ऑफिस पहुँच गया | दिल्ली से कोई ज्यादा पुराना नाता नहीं था हां; 1 साल पहले इंटर्नशिप जरूर की थी तब दिल्ली में लगभग 2 महीने निवास किया था और थोड़ी बहुत दिल्ली की नक्शानवीसी कर ली थी।

 

इंटरव्यू के तय समय पर जैसे तैसे पता पूछते हुए ऑफिस पहुंचा, दिल्ली में मानसून शायद दस्तक दे चुका था | हल्की बारिश में थोड़ा भीगा हुआ था | हाथ में डाक्यूमेंट्स और रिज्यूम पकडे और बौछार से भीगी शर्ट  और उस पर ऑफिस के अंदर चलता हुआ ऐसी उस वक्त मुझे दांत कट कटाने पर मजबूर कर रहा था| चलते  इंटरव्यू में मुझे ओनर्स से ऐसी बंद करवाने की के लिए कहना पड़ा ,उन्होंने मेरी बात को नजरअंदाज नहीं किया और कहा  की  ठीक है.. आप थोड़ी देर गरमा गरम चाय लीजिए फिर फाइनल इंटरव्यू करते हैं और ऐसी बंद करवा दिया | और अदरक वाली चाय मुझे ऑफर की गयी थी |  थोड़ी देर ऐसी बंद रहा और चाय का कप गटागट पीकर  मेरी कपकपी बंद हो गयी थी .....मैंने बहुत अच्छा इंटरव्यू किया काफी सारे प्रश्नों का बहुत अच्छा उत्तर दिया | वही दोनों ऑनर्स भी मेरे प्रश्नों से काफी संतुष्ट नजर आ रहे थे उन्होंने आपस की चर्चा के लिए मुझे 10 मिनट बाहर के कमरे में  इंतज़ार करने के लिए कहा| मैं कमरे से निकला और बाहर आकर मैंने चाय पिलाने भैया वाले भैया जिन्हें बाद में हम राकेश जी के नाम से जानते थे, को एक कप चाय और पिला देने की डिमांड कर दी डाली क्योंकि चाय से मुझे बहुत स्नेह रहा है |  राकेश जी ने भी सहज भाव से चाय का प्याला तुरंत ही मुझे ऑफर कर दिया और हम दोनों आपस में चर्चा करने लगे | मैंने चाय खत्म ही की थी कि अंदर से मैनेजिंग डॉक्टर दीपक मनवानी जी ने राकेश को बुलाकर, मुझे अंदर आने को कहा |  मैं अब मुझे मिलने वाली नौकरी की कन्फर्मेशन के समाचार को सुनने की तलाश में था | मैं अपनी दूसरी चाय ख़तम कर चुका था | अब एग्जीक्यूटिव  डायरेक्टर  नीलम मैडम ने मुझे पुछा अमित अब कैसा लग रहा है ... मैंने आत्म विश्वासी स्वर में तपाक से जवाब दिया कि दो बार चाय पी कर अब बेहतर फील कर रहा हूं | उन्होंने आश्चर्य से पूछा दो बार कब क्या पहले भी पी कर आए थे मैंने तुरंत जवाब दिया, नहीं अभी 10 मिनट पहले वह राकेश भैया से डिमांड करके एक और कप चाय पी ली थी मैंने ! दीपक सर और नीलम मैडम दोनों हंसने लगे..... बल्कि दीपक सर बहुत खुश होकर नीलम मैम से बोले, बंदे की लायजनिंग पावर देखी , 10 मिनट में ऑफिस से चाय जुगाड़ ली | फिर वे मुझ से बोले  बधाई हो अमित आपका सिलेक्शन हो गया है | आप हमें ऑगस्ट से ज्वाइन कर सकते हैं.... मैंने कहा जी थैंक्स और जवाब दिया कि मैं अगस्त में ज्वाइन कर लूंगा | अब हमारे बीच फॉर्मल इंटरव्यू टॉक लय ले चुकी थी , वो दोनों एक – एक करके कंपनी और मेरी जॉब प्रोफाइल के बारे में बता रहे थे | दीपक  सर ने मुझे  बोला कि आप ग्वालियर से  से हो तो 10 दिन तक यहां तो नहीं रहोगे तो आप एक दो दिन में अपना रहने वगेरह  का अरेंजमेंट पहले ही करके निकलना और  हम आपको आधे घंटे में ही ऑफर लेटर देते हैं |  मुबारक हो एक बार फिर से ...और जब मुझे  उन्होंने ऑफर लेटर दिया तो... सहमते हुए मैंने राकेश जी को  कहा कि प्लीज न्यू फॉर्थकमिंग जोइनी को एडवांस में एक कप चाय और पिला ही  दीजिये ... प्लीज ! मेरी बात सुनकर नीलम मैडम राकेश से हंस कर  बोल उठी कि राकेश जल्दी-जल्दी पिला दो इसे चाय नहीं तो हो सकता है अगस्त महीने का कोटा भी अमित अभी ही पूरा कर ले। सब मुझे शुभकामनाएं दे रहे थे ; और मैं हंसते- हंसते अपनी चाय खत्म करते हुए बाहर निकल आया | क्योंकि बाहर बारिश हो रही थी तो मुझे जल्दी ही रिक्शे का इंतजाम करना था और मैं जल्दी से आगे बढ़ चला।

ए वाकया 2007 जुलाई महीने का था | आज बरबस ही याद आया गया ...कहने को तो 15वीं  साल शुरू हो रही थी|  तब से अब तक भी ... चाय आज भी जीवन का आनंद है...  और रहेगा मेरे, जीवन में। ऑटो में बैठते ही मैंने मोबाइल से घर फोन कर खुस खबरी दी | जीवन में वह बारिश और वह चाय का वाकया आज भी याद है।

कोई टिप्पणी नहीं:

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...