फुलवारी
एक लघु कवित मंजरी
द्वारा अमित तिवारी “शुन्य”
कृति से कर्म तक,
समय से युगों तक,
जन्म से जरा तक,
प्रणय से प्रभा
तक ,
द्वन्द से विनय
तक ,
अकिंचन सी ही सही
!
फुलवारी है जीवन
की
सहज नहीं,
समर नहीं,
प्रणय नहीं ,
क्षम्य से बंधी
सी
रम्य से त्यजी सी
कीर्ति माधुरी सी
वाणी के विनोद सी
अमित में रमी सी
सूर्य सी जली सी
राम के तुलसी सी
ललाट पर बिंदी सी
कर्महीन की नहीं
सृजन के बीज की
खीज के लिए की
गयी आरती की
प्रसादी की
पालकी की
नयनाभिराम की
मेरे राम की
त्याज्य दुर्मति की
स्नेह से बनी की
फुलवारी
प्यारी
न्यारी
हमारी
तुम्हारी
जीवन की फुलवारी
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