क्षमा/माफी
स्वरचित कविता
द्वारा अमित
तिवारी ‘शून्य’
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दो शब्द बोलकर,
शब्दों को मन में तोलकर,
दूर कर सको स्वयं के विकार,
मांग कर क्षमा अधिकार,
क्ष्ामा तुम से, क्षमा उनसे,
क्षमा सब से, क्षमा प्रकृति से,
क्षमा मॉ-बाप, संगिनी से,
क्षमा नो निहाल से, क्षमा काल से,
क्षमा खुदी से, क्षमा ज्ञान से,
क्षमा दर्पण से, अक्स से,
क्षमा पृथ्वी व नदियों से,
क्षमा जंगल से जीवों से,
क्षमा जन-जन से गुरूजन से,
क्षमा तिष्ठ है, धर्म है,
क्षमा जिन्दगी का सर्ग है।
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’ ; २४.०८.२०२०
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