सोमवार, 24 अगस्त 2020

क्षमा याचना ; युग धरम यही

 

क्षमा/माफी

 स्वरचित कविता

द्वारा अमित तिवारी शून्‍य

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दो शब्‍द बोलकर,    

शब्‍दों को मन में तोलकर, 

दूर कर सको स्‍वयं के विकार,

मांग कर क्षमा अधिकार,

क्ष्‍ामा तुम से, क्षमा उनसे,

क्षमा सब से, क्षमा प्रकृति से,

क्षमा मॉ-बाप, संगिनी से,

क्षमा नो निहाल से, क्षमा काल से,

क्षमा खुदी से, क्षमा ज्ञान से,

क्षमा दर्पण से, अक्‍स से,

क्षमा पृथ्‍वी व नदियों से,

क्षमा जंगल से जीवों से,

क्षमा जन-जन से गुरूजन से,

क्षमा तिष्‍ठ है, धर्म है,

क्षमा जिन्‍दगी का सर्ग है।

द्वारा अमित तिवारी शून्‍य ; २४.०८.२०२०

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