शब्द की अभिलाषा
स्वरचित भाव गीत
द्वारा अमित तिवारी 'शून्य'
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एक शब्द तुम्हें कहकर मैं मन के भाव बताता हूं
एक गीत मन के ख्वाबों का मैं तुम्हें सुनाता हूं....
नहीं जानता हूं तुम तक कितना पहुंच पाता हूं
गौरव की गाथा तो शब्दों से गाई जाती है ....
लेकिन मैं शब्दों को गीतों में, कहां पिरो पाता हूं?
एक गीत मन के ख्वाबों का मैं तुम्हें सुनाता हूं.....
मैं तो था शब्दों का घायल
शब्दों पर ही वारा जाता हूं
की होगी तुमने घोर तपस्या शब्दों को पाने को...
मैं तो तुमको पाकर ही पूरा सा हो जाता हूं
नाहक यू शब्दों को गढ़ने का मुझे प्रतिमान न दो,
मैं तो बस यूं ही शब्दों में अर्थों को जोड़े जाता हूं
एक शब्द तुम्हें कहकर मैं मन के भाव बताता हूं।
द्वारा अमित तिवारी शून्य
29.08.2020
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