शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

स्वरचित कविता : कीमत और मूल्य जीवन का

 

कीमत

स्वरचित कविता

द्वारा अमित तिवारी शून्‍य

‘कीमत की कीमत’ वो समझे जिसने कीमत जानी हो,

कीमत को कमतर जो समझे उसकी कीमत क्या कहिए,

 

नेत्रों के अभाव में दुनिया की कीमत जानी थी,

थाली की कीमत ने भूख की कीमत पहचानी थी,

क्षण भर भी पथ में विलंब ना होता तो वो यात्रा पूरी होती,

इतना सब खोकर ही तो समय की कीमत पहचानी थी,

प्यासे को पानी की कीमत,

अधरो को कांति की कीमत,

हिंसा को शांति की कीमत,

अनपढ़ को शब्दों की कीमत,

मुनियों को माया की कीमत,

 बांझों को पुत्रों की कीमत,

हारे को जीत की कीमत

मिली नहीं, जिन्हें प्रीत की कीमत,

नहीं सपूत जिनके हो बेटे उनकी कीमत फिर क्या कहिए,

समय पटल पर पीछे जाकर खुद की संतति को भी फिर क्या कहिये,

बिन रोटी के राम ना मिलते,  सत्ता बिन घनश्याम ना मिलते,

सच्चरित्र से पूछो कीमत, क्या कलंक फिर क्या होता है,

जीवन भर की तपस्या को मनुष्य पल में खोता है,

गंजे से पूछो कीमत बाल  की

प्रेमी से पूछो कीमत गाल की,

ममता से पूछो कीमत लाल की,

बहना से पूछो कीमत भाल की,

गायक से पूछो कीमत ताल की,  

विद्यार्थी से पूछो कीमत साल की,

 रे अमितमन ‘शून्‍यतमबात कही कमाल की

 

 

 

स्वरचित कविता – अमित तिवारी ‘शून्य’

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...