खेल अनोखा,
मेल अनोखा,
बचपन का वो
गिल्ली डण्डा,
हमने मारा,
उसने ताडा,
हम भी भागे,
वो भी भागा,
अब्दुल आया,
गोपाल भी आया,
भेद किसी ने न
किसी में पाया,
धूल में खेले,
धूम से खेले,
कोई बिना पतलून
में खेले,
खेल निराला सबका
प्यारा,
मैं गुल्ली मारूं
तू डण्डा नापे,
खेल हमारा,
खेल तुम्हारा,
खेल अनोखा,
मेल अनोखा,
बचपन का वो
गिल्ली डण्डा।
द्वारा अमित
तिवारी ‘शून्य‘
दिनांक 27.08.2020
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