शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

चुगली के रंग -उमंग व उत्साह भरे स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी 'शून्य '

 

उत्साह /उमंग –(चुगली के रंग )

स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’

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मन में भर उमंगें,

और हो कर उत्साहित,

आओ री सखी चुगली करें,

भाव – व्यंजना निज मन दर्पण में धरें,

वैसा ही चित्र प्रदर्शित करें,

जैसा भाव औरों का निज मन में स्रजें,

 

चाल पर उमंग भरी चुगली;

गाल पर अंग भरी चुगली,

बाल , हाल , सवाल सब पर चटपटी सी चुगली

का अंतरा भरें

प्यारे निज विषयों पर मय उमंग,

काले तारताम्यों को मय चटकीले रंग,

श्वेत को काला करें,

काले को निराला करें,

साले का मसाला करें ,

 

प्रेम के पुट घ्रणा की उमंग लगा ,

कर चरित्रों को ओछा,

लगा कर उन पर निंदा का पोंछा,

खीच लें उत्साही बेला का अंगोछा,

 

उत्साह से निज मन का भार तरें,

औरों की तल्खियो में तंज का भाव भरें,

व्यंजना की निज शब्दों से रंजना करें,

आओ सखी उमंग व उत्साह से चुगली करें    

 

स्वरचित अतुकांत रचना

द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’; 28.08.2020 

   

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