मंगलवार, 18 अगस्त 2020

लघु कथा मंजरी - पुकार

 

पुकार

लघुकथा मंजरी

द्वारा अमित तिवारी शून्‍य

संतोष आज मन में बहुत प्रसन्‍न और खुश था कि; आज कार्यालय में बडे बाबू ने साहब तक उनकी फाइल प्रस्‍तुत कर उनकी पुकार सुन ली, जिसमें संतोष द्वारा अपनी प्रोविडेंट फण्‍ड की जमा राशि से कुछ रकम निर्गमित करना चाहता था। साहब ने भी शाम की मीटिंग में संतोष से कहा तुम्‍हारी फाइल आई है, आज ! क्‍या कर रहे हो ? संतोष ने अपनी दबी जुबान में साहब को अपनी बात रख दी, ओर मुस्‍कुराते हुए अपनी टेबुल पर आकर दरख्‍तों में से अपने प्रोविडेंट फण्‍ड की फाइल के आवेदन को देखने लगा। सहसा आंखों में जैसे कोई निरापद पूरी पुकार यात्रा चल पडी हो जैसे, बिटिया के एम बी ए कर लेने और उसकी पुकार पर शादी के लिए हॉ करने और अनेकों वर्षों की खोज-बीन, धक्‍का परस्‍ती के कर्म के बाद संतोष की पुकार को परिवार ने भी आज हामी भर दी । लड़का आधुनिक युग में भी कितना सज्‍जन है..... यूँ कि मेघा के कई जन्‍मों के पुण्‍यों की पुकार मानों इस संबंध के संयोग से साकार हो गई हो। मेघा भी खुश है, मॉ भी, परिवार भी। भगवान बस विवाह की तैयारी ठीक से हो जाए। मगर पैसों का इंतजाम तो…. खैर कुछ यहॉ से ! कुछ वहॉ से....! सोच ही रहा था कि कमल ने आकर कहा साहब 6 बज गए आज घर नहीं जाना क्‍या? संतोष ने कमल की कातर पुकार को यॅू सुना कि जैसे कोई ऑफिस आर्डर ही मिला हो; पुकार के प्रतिकार में संतोष ने सिर हिलाते हुए कहा कि बस पॉच मिनट दो कमल जी ! बस फाइलें समेटो और दरख्‍त बन्‍द कर दो प्‍यारे। संतोष की पुकार से मानो कमल ने बहुत गहरी श्‍वांस ली और सोचा कि आज तो समय पर निकल जाऊँगा। टिफिन के डब्‍बे को लेकर संतोष बाहर निकाला ही था कि कमल ने पुकारा, ‘झोला लेते जाइए’…, पुकार के प्रतिकार स्‍वरूप में कदम वापस झोले की तलाश में चल पडे दो मिनट में झोला कंधे पर और मुस्‍कान से भरे चेहरे की चाप पर व कदम स्‍कूटर की किक पर पडे। डर्र-डर्र की आवाज से स्‍कूटर पुकार उठा और रोज की तरह ही संतोष के घर के मार्ग पर  अट्हास करता हुआ उन्‍हे मुख्‍य बाजार, सब्‍जी मण्‍डी होते हुए घर ले आया। शारदा बालकनी से देख ही, रही थी और स्‍कूटर के मुडने पर मेघा को पुकारते हुए कह उठी पापा आ गए। मेघा ने, जी मम्‍मा ! कहते हुए पुकार का प्रतिकार कर, घर का मुख्‍य दरवाजा खोला। पापा के चेहरे पर गजब का मंद हास्‍य देख बोली पापा आज क्‍या हुआ? आप जल्‍दी आ गए और सब्‍जी भी ले आए ! आप तो आज मुस्‍कुरा भी रहे हैं अरे मिठाई भी; ये किस लिए.... संतोष ने पुकार लगाई अजी सुनती हो...... शारदा ने कहा जी आई्.... पतिदेव के स्‍वर में कुछ बेहद सुखद पुकार सुन, सुकून से चेहरा भर गया। मेघा से कहा तुम भी चाय पियोगी क्‍या ? मैं पापा के लिए चाय बना रही हॅू.. मंद स्‍वर मे मेघा ने पुकारा मम्‍मा मैं नही पीती चाय इस वक्‍त.. मॉं ने पुकारा ठीक है.. शारदा का कहना ही था कि संतोष ने मेघा को पुकारा और कहा आज तो मेघा के हाथ की बनी चाय पीनी है तुम रहने ही दो शारदा .... यकायक मेघा रसोई में चाय चढाने आते हुए मम्‍मा को पुकारती है कि बिस्किट कहॉ रखे हैं ? पीले वाले डिब्‍बे में शारदा ने मुकारते हुए कहा। संतोष ने हाथ मॅुंह धोकर सोफे पर बैठते हुए शारदा को पुकारा, यकायक शारदा और मेघा दोनों आगे पीछे पुकार के प्रतिकार स्‍वरूप चली आईं। संतोष ने कहा मेघा, आज मैं बहुत खुश हॅू बिटिया ...प्‍याले में चाय लेते हुए... जानती हो क्‍यो ? इस क्‍यों के प्रश्‍न में पिता के जीवन की भावुकता का वो दिन उस आवाज में भाव की पुकार बनकर निकला हो जैसे ...! जिसे मॉ – बेटी ऑखों से उनक चेहरे पर झलकी खुशी और ऑसू के कुछ कतरों को उनके चेहरे पर जीवन मे पहली बार देख रहीं थी संतोष के अंर्तमन की पुकार चेहरे पर तसल्‍ली भरे सुकून, बह लेने वाले निर्झर  आंसुओं के बीच चश्‍में से झांकती आंखों की पुकार मानो चीख कर, मॉ-बेटी से कह रहे हों किमेघा की शादीकी व्‍यवस्‍था बस हो गई हो जैसे... अब शायद बिटिया को विदा करने के दिन नजदीक ही हैं, तीनों चाय की कुछ चुस्कियों के बाद आपस के अंर्तमन की पुकार सुन बिना किसी को कुछ कहे सुकून से चक्षुनीर गिरा रहे थे। खुशी मानो चेहरो पर हो लेकिन अंर्तमन की करूण-पुकार पिता, मॉ और मेघा के चेहरो पर पुकार-पुकार कर उनके जीवन के बडे खूबसूरत दिन की आहट की पुकार सुना रहे थे। सहसा मेघा उठी और तेजी से अपनी बहती ऑखों को संभालती हुई भरे स्‍वर में अपने कमरे में चली गई। उसके रूंधे गले की पुकार बेटी के पराये हो जाने का आभास दे रही थी जैसे। संतोष कुछ न बोले शारदा भी भावुक हो गई बस वे इस अनमोल पल की पुकार मे विलीन हो समयातीत से हो लिए।

 

द्वारा: अमित तिवारी शून्‍य 

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...