गणपति का वंदन कर पायु : एक वंदना “ह्रदय से”
============= द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’ (स्वरचित )
उमा सुत, तेरे वंदन की तैयारी है
प्रभु लीला, तेरी बड़ी न्यारी है
विघ्नों को नाशे, तेरी दृष्टि अपार
मिटे कष्ट होवे , दीनो का बेडा पार
रिद्धि सिद्धि के तुम दाता
करो दया हे भाग्य विधाता
लाज हमारी तुमने सदा ही राखी
तुम हो दीन –हीन हितकारी
महिमा हम क्या तेरी गावें
हम तुझ बिन कहाँ गति पावें
हे प्रथम देव हितकारी
तेरी है महिमा बड भारी
क्या तुझको करूँ मैं अर्पण
हर पल ध्यान करूँ तेरा चिंतन
कहे अमितमन शुन्यतम प्रभु मुझे बना लो अपना चिर सेवक
अमित तिवारी ‘शून्य’
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