स्वरचित
अतुकांत कवित्त
शीर्षक
: उत्सव
द्वारा
: अमित तिवारी ‘शून्य’
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फिर
आएगा उत्सव का दौर
करें
सब मिलकर थोडा सा गौर
माना
दम तोडती रही जिन्दगी
पर
पटरी पर वापस आएगी
आने
वाले समय में उत्सव
मिलकर
फिर मनाये सब
धैर्य
रखा है धैर्य रखेंगे
जीत
का उत्सव यहाँ गढ़ेंगे
जीत
रोग से जीत शोक से
जीत
पतन से जीत जतन से
पर उत्सव
से पहले पृथ्वी पर वापस
प्रकृति
को मान दिलाएंगे
आयें
मिलकर प्रकृति के उत्त्थान का उत्सव
मिलकर
सभी मनाएंगे
द्वारा
अमित तिवारी “शून्य”
16.09.2020
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