सोमवार, 28 सितंबर 2020

लापरवाह किसे कहते हैं’ अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’

 

लापरवाह किसे कहते हैं’

अतुकांत कविता

द्वारा अमित तिवारीशून्य’

महाविद्यालय के इम्तिहान में

प्रश्न आया एक नया जहान में

कि लापरवाह किसे कहते हैं

और किस लोक में वे रहते हैं

प्रश्न बडा बेतुका था

किन्तु मुझ पर गढ़ा गया था

लापरवाह मुझ सा कौन जग में

जानिए जो खेले क्रिकेट सडक में

लापरवाह मुझसा है कौन

बिजली के तारों का छत पर है जोन

अगरबत्ती से जो गैस चूल्हा जलाए

कुंए के बगल में खडे हो नहाए

कंफर्म रेल टिकट की यात्रा

लापरवाही के सम्राट हम दरवाजे बैठ की यात्रा

बिना हैंडल हाथों के स्कूटर चलाए

पुलिस भी चिल्लाय मगर अपुन उनको ठेंगा दिखाय

मगर चलती नहीं लापरवाही श्रीमती के आगे

जो वो देख ले तो हम स्वतः होशियार हो भागे

 

द्वारा अमित तिवारीशून्य’

ग्वालियर .प्र.

दिनांक   28 सितम्बर 2020

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चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

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