चित्रलेखन
बुलबुले
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
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मैं ख्वाहिस हूँ
बस इन बुलबुलों जैसी
मैं ख्वाहिस हूँ
एक पिता की चुलबुली सी
नेक हूँ नाक हूँ
अपने बाबा की
अनकही सी
पहेली हूँ
स्वाभिमान हूँ
मेरे पिता का
पहले लगता था
क्या हूँ
आज जाना
सब हूँ
सब कुछ ही तो हूँ
अपने बाबा की
अपनी दादी की
बिट्टो
लाड्डो
गुडिया
मैं
खुश
हूँ
बस इन बुलबुलों जैसी
द्वारा अमित तिवारी
अपनी बेटी को समर्पित
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