शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

जीत क्या है ? - एक स्वरचित कवित्त द्वारा अमित तिवारी 'शून्य'

 

जीतक्या है  

एक स्वरचित कविता

द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’

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जीत क्या है

एक सीख है

हार के प्रतिकार का प्रतीक है

यह कर्म रूपी धर्म है

याचना नहीं रण की प्रार्थना है

दया जब क्रोध के साथ आती है

तो पतितों की जीत बन जाती है

स्नेह के कर्म का मानिंद बन जाती है

शकुन्तला का प्रणय जब एक रीत होती है

भूले हुए भारत की तब जीत होती है

रिक्त कोई स्थान हार का कहा होता है

जब हर पल कर्म व विश्वास प्रेरित जीत होती है

नर हो जीत न मिलने पर निराश ना होना है

यह तो तप है निष्काम कर्म है

नितांत के न्याय का एक परम धर्म है

जीत का वरण वही कर पाता है

जो हार से सीख प्रयासरत रहता है

द्वारा अमित तिवारी “शून्य” 18.09.2020

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