मंगलवार, 22 सितंबर 2020

योग्यता की क्षमता का आंकलन स्वरचित अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’

 

योग्यता की क्षमता का आंकलन
स्वरचित  अतुकांत कविता द्वारा अमित तिवारी शून्य
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सर्वजगपूज्या योग्यतातप करके ही आती है
आंकलन की धार पर सेकर बनती प्रभावी है;
 
आदि मध्य अंत क्षमता का होता कहाँ है
वो तो बस परिश्रम की धार पर जिन्दा रहा है;
 
ये किसी विघ्न के राग से पोषित नही है
स्वप्नदृष्टा के भाल का श्रोणित यही है;
 
तप के बल से उत्तम होती योग्यता है
परे कर्म के तो सब शून्यका आंकलन भर है;
 
मैं के वर्णन से कर्म प्रभावी कहाँ होता है
योग्यता की क्षमता का आंकलन तो बस उसके निष्काम होने में होता है
 
द्वारा अमित तिवारी शून्य
,ग्वालियर म.प्र.
तिथि 21.09.2020

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