कर्म फल
एक लघु कथा
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
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राजीव ट्रेन से उतरकार ग्वालियर स्टेशन से होता हुआ आटो पकडकर आई आई टी टी एम की तरफ आ रहा था मस्तिष्क में अनेकों विचार चल रहे थे कि काश जिस इंटरव्यू के लिए मैं वहां (ग्वालियर) आया हूँ ;उसमें मेरा चयन हो जाए तो मुझे और परिवार को कुछ राहत मिले । ऐसा सोचते-सोचते राजीव अपनी मस्तिष्क के पटल पर अंकित कुछ यादों को टटोल रहा था I उसी समय उसके कर्मफल स्वरूप आटो उसे संस्थान की तरफ लिए जा रहा था, लेकिन यह बीतता पल
पल उसे एक अमित आत्मविश्वास दिए जा रहा था I उसे याद आ रहा था कि किस तरह स्कूल और कालेज में हमेशा अब्बल आने क परिणाम स्वरूप आज जिदंगी में एक बडे संस्थान में एक संभव नौकरी प्राप्त करने का मौका है ; जैसा कि कहते है कि कर्म मनुष्य का भविष्य और और वर्तमान दोनों बदल देता है अच्छे कर्मों का प्रतिफल ‘जीवन का मूल बदल सकता है’ और राजीव इसी तथ्य के सत्य होने की कल्पना के साथ अपने अतीत में किए गए सतकर्मों के आधार पर यह निश्चित मान रहा था कि वह इस संस्थान में इस पद को प्राप्त कर पाएगा। जैसे ही ऑटो संस्थान में प्रवेश करता है गार्ड द्वारा ऑटो के पास आकर पूछा जाता है कि क्या आप ही राजीव साहब हैं? राजीव गार्ड की तरह देखकर ऑटो चालक को पैसे देकर स्वयं के राजीव होने की बात कहता है। तभी गार्ड राजीव को गेस्ट हाउस तक पहुचाता है और उन्हे उनके रूकने के लिए दिए गए कमरे की चाबी और उससे सम्बद्ध औपचारिकताएं आदि पूरी करवाता है और ये कहकर कि आप चाय कॉफ़ी जो कुछ लेंगें, वो केन्टीन में फोन करके मगवां सकते है I कमरे में सामान रख नहा धोकर राजीव शाम चार बजे उसी संसथान के सभागार की तरफ हो लिया जहाँ
उनका इंटरव्यू था । इंटरव्यू पेनल में प्रत्याशियों से बोर्ड अनेका- अनेक प्रश्नों के साथ उनका साक्षात्कार ले रहे थे । राजीव का साक्षात्कार भी बहुत आसानी से ज्यादातर प्रश्नों के सही उत्तर के साथ सम्पन्न हुआ। राजीव को भी लग रहा था कि बोर्ड उनके उत्तरों से संतुष्ट था। तभी एक बोर्ड मेम्बर बाहर आकर अगले सुबह 10 तक परिणाम आने की
घोषणा का समाचार दिया और सबको सभागार छोडने की इजाजत दे दी। राजीव सभागार से बाहर आते हुए; अपनी यादों के झरोखों में फिर से झाकने लगा और उसे याद आया कि कैसे स्कूल और कालेज के दिनो में कितनी निष्ठा और कडी मेहनत और लगन से अध्ययन किया और बिना किन्ही अधिक संसाधनो के होते हुए भी एक बेहतरीन अकादमिक रिकॉर्ड का प्रदर्शन पूरे छात्र जीवन में कर पाया, और उसके लिए पिताजी के दिए गए सूत्र सिर्फ ‘निष्काम कर्म करो और किसी अतिरिक्त उपादेय की आवश्यकता नही है’।
अगले दिन नाश्ते के बाद लगभग पोने 10 बजे जब राजीव सभागार के नोटिस-बोर्ड की तरफ बढ रहा था तो मन में एक अजीव सी संतुष्टी और संहमती उसे आश्वस्त कर रही थी अगले कुछ ही क्षणों में सभी प्रत्याशी सभागार में आ चुके थे; फुसफुसाहट बहुत तेज हो गई थी और बोर्ड रूम से एक सदस्य हाथ में परिणाम लिए सूचना पटल पर चस्पा करने आया तो भीड ने उनका पीछा किया । परिणाम चस्पा होने के कुछ देर में परिणाम को लेकर अच्छी और बुरी प्रतिक्रियायें मिलने लगी । राजीव परिणाम देख भी नही पाया था कि दूसरे प्रत्याशियों के मुह से राजीव का नाम सुनने को मिला । लोग कह रहे थे कि किसी “राजीव” का सिलेक्शन हुआ है और कुछ लोग प्रतीक्षा में रखे गए है। इन शब्दों को सुनकर राजीव भावुक हो गया और कुछ ही पलों में भीड के वहां से छटने पर स्वयं जब परिणाम को सूचना पटल पर देखा तो मानों मन का नितान्त पूरा हो गया हो उसने ईश्वर को उन कर्मो को कर पाने के लिए धन्यवाद दिया जिसके हेतु से आज उसे सोउद्देश्य यह फल मिला। अपने कर्मो के इस फल के लिए वह ईश्वर को धन्यवाद कर रहा था।
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर , मप्र
22.09.2020
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