सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

विरह की वेदना; एक सैनिक की अर्धांगिनी का जीवन एक स्वरचित कविता द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’ ग्वालियर म0प्र0

 विरह की वेदना; एक सैनिक की अर्धांगिनी का जीवन

एक स्वरचित कविता

द्वारा अमित तिवारी शून्य

ग्वालियर म0प्र0

-----------------------------------------------------------------------------

सजी थी सेज नेह की,

संदेशा भारत माँ की,

ओर से सैनिक को आया,

छोड सेज पर प्रिया,

उसे था भारत माँ की सेवा ने बुलाया,

संग्राम बडा भारी था,

दुश्मन बडा प्रहारी था,

भाल पर टीका लगाया नारी ने,

किंचित न अश्रु एक बहाया प्यारी ने,

पर जब पैरों को छू रह गई,

आलिंग्न में बंध कर सिहर कंचना खो गई,

विरह की टीस जाती तो नहीं,

वीर की नारी उसको दिखाती भी नही,

नेह की लालसा में अधर लंबित से रह गए,

नजर आए विरह में कापते से हो गए,

आज मन में उदासी तो नही,

पर प्रणय की सेज बाकी तो रही,

निज भाल में सिंदूर को समेटे रह गई,

वेदना के भाव एकान्त मन में सह गई,

नेह किन्तु सिर्फ तन भर का तो होता नही,

विरह भी सेज है प्रेमी इसमें सोता नही,

अगर अश्रु बहा मेरा तो उनका ओज कम होगा,

मेरे संग्राम से उनका संग्राम अजेय होगा,

विरह तो देह की एक कमजोर दासी है,

किन्तु वरण अपना तो व्यापक और आत्मीय है,

--------------------------------------------------------------------------------

एक स्वरचित कविता 

द्वारा अमित तिवारी शुन्य

ग्वालियर म0प्र0

दिनांक  12.10.2020

कोई टिप्पणी नहीं:

चित्र आधारित स्वरचित रचना “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’

  चित्र आधारित स्वरचित रचना     “ अतुकांत रचना” द्वारा डॉ अमित तिवारी “शून्य” शीर्षक : ‘मन के तार’ ग्वालियर, भारत ; 30.06.2023   ...