स्वरचित तुकांत रचना
स्तुति – श्री हनुमान की ; रचनाकार
: अमित तिवारी “शून्य”
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श्री गुरु चरण स्वरुप प्रभु दरसन दे दो
मुझे तुम
जासे तम से मुक्ति पा जायें या जीवन
सागर में हम
नादान बड़ा मेरा मन
न जान सका तुमको हनुमन
भारी से भारी असम्भव
तुम करते पल में संभव
गुण विद्या ज्ञान निधान
सब तुममे हैं हनुमान
अनुगमन करें तेरा निज जीवन का सीख
प्रबंध
यह तेरी तपस्या है और राम नाम में तेरा
अनुबंध
रज -तम गुण से हों दूर
आया जो प्रभु तेरी ओर
माना मेरे पातक बड़े भारी हैं
गुण में बदले मेरे तम, हम तेरे आभारी
हैं
तुम न्याय करो हनुमान निज दास बना लो
हमें
नित ध्यान तुम्हारा रहे मुख से नित राम
रमें
नाहक निज जीवन में किसी जीव को कष्ट न
दूँ
मैं खुद के जीवन को बस तेरी शरण कर दूँ
श्री हुनमान को समर्पित
रचनाकार : अमित
तिवारी “शून्य”
ग्वालियर , म. प्र.
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