पूनम का चाँद
स्वरचित अतुकांत कविता
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
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क्या देखें हम खुदको
अब जब देख लिया
पूनम का चाँद
क्या मांगे हम रब से
अब- जब मांग लिया
पूनम सा चाँद
क्या चाहें हम जग से
जब चाहा मिला नहीं
पूनम का चाँद
क्यों रोयें हम खुद पर
जब खिला नहीं
अब तक पूनम का चाँद
जीवन के गलियारों में
धुप अभी भी बाकी है
बाकी सब कुछ झूठ है
बस नहीं रहा बाकि तो
वो है एक पूनम का चाँद
राम कृष्ण की छवि मिले
और जीवन में मिल जाय
एक पूनम सा चाँद
स्मृति शेष यदि बनी रहे
बाकि सब खो जाये
चित्त में मेरे राम
जैसे हों पूनम का चाँद
जैसे बस पूनम का चाँद
स्वरचित अतुकांत कविता
द्वारा अमित तिवारी “ शून्य”
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