चित्र लेखन भाव :-सृष्टि का मंगल करने शिव शक्ति को
निज कर, धर ले आये !!
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर , मप्र
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सर्व मंगल की ले भावना
माँ हम करें तेरी आराधना,
तुम शिवा, शिव से हुआ
तुम्हारा वरण,
सृष्टि के साम्य में शिव में
समाये तुम्हारे चरण,
हो दयालु –कृपालु सदा
सर्वदा,
हित धरो इस धरा पर पतितो के
मुदा,
तपोज्ञान का तुम हो रूप
ब्रह्मचारिणी,
मैं भी तो पथिक तेरे मार्ग
का क्लेशहारिणी,
मैय्या तुम सा दयालु कहाँ,
हो सका ना हमेशा मेरा,
हाँ शिव ही प्रतिरूप हो
अर्धांग शिव हैं तेरा,
जो उमा की प्रखर देह को वो गगन पर रहा ले उड़ा,
वो शिवा का ही प्रतिरूप
त्रिनेत्र शिव; तांडव पर था अड़ा,
अब कहाँ जा के थम पाएगी
सृष्टि मैय्या बतायो जरा,
फिर हुआ यूँ की शिव मन में
खुद जगा रूप उमा का खरा,
हो शांत रूप, शिव चल दिए तभी
सृष्टी का यूँ श्रंगार हो सका,
आयी आज मैय्या बन पार्वती
जिनसे प्रणय पार्वती का हो सका,
सर्वमंगल की ले भावना,
माँ हम करें तेरी आराधना,
तुम शिवा, शिव से हुआ फिर से
तुम्हारा वरण,
सृष्टी का मंगल हो सका, शिव
ने थामे तुम्हारे चरण
द्वारा अमित तिवारी “शून्य”
ग्वालियर , म. प्र.
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