रफ़्तार
एक स्वरचित
अतुकांत कवित्त
द्वारा अमित
तिवारी ‘शून्य’
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रिश्ते थमते है
बनते हैं
चलते हैं
रफ्तार नही रूकती
धडकन चलती है
मचलती है
खनकती है
रफ्तार नही बनती
अरमां बनते है
बिगडते है
पर जज्बात
नही समझ पाती
रफ़्तार है एक
धारा
जो प्यार से बनती
है
न थमती है
रफ्तार वो जीवन
की
फिर कमतर ही बदली जाती
चलती है जिन्दगी चाल
रफ्तार से
जलती है जीवन की ज्योति प्यार से
पर जिन्दगी ही जिन्दगी
से परे
चलती लगा पर
रफ़्तार के
द्वारा अमित तिवारी ‘शून्य’
ग्वालियर म.प्र.
दिनाक 28/10/2020
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